चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
हरिभाई जेठालाल जरीवाला का जन्म 9 जुलाई 1938 को सूरत में जेठालाल जरीवाला के घर हुआ। जब यह सात वर्ष के थे तो इनका परिवार बम्बई आ गया और फिर हरिभाई जेठालाल जरीवाला ‘संजीव कुमार’ हो गए और इप्टा के स्टेज पर अभिनय करते हुए नेशनल इंडियन थिएटर से जुड़े।
इन्होंने 1960 में फिल्मालय बैनर की फिल्म ‘हम हिन्दुस्तानी’ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की। 1970 में बनी फिल्म ‘खिलौना’ ने इन्हें बॉलीवुड में स्टार का दर्जा दिलाया और 1970 की ‘दस्तक’ के लिए यह राष्ट्रीय पुरस्कार से विभूषित हुए। इसके बाद 1972 की ‘कोशिश’ में बगैर संवाद बोले गूंगे और बहरे व्यक्ति की भूमिका निभाते हुए आंखों और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देने की कला के लिए इन्हें दूसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार से विभूषित किया गया।
अपने बेहतरीन और अद्भुत अभिनय प्रतिभा के लिये पहचाने जाने वाले संजीव कुमार ने 1974 में बनी फिल्म ‘नया दिन नई रात’ में दस भूमिकाएं निभाई। फिर 1975 की ‘शोले’ में ठाकुर का चरित्र अदाकर यह अभिनय की दुनिया में अमर हो गये। इसी वर्ष 1975 की ‘आँधी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार से विभूषित होने के बाद फिर 1976 की ‘अर्जुन पंडित’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार से विभूषित हुए। 1978 की ‘त्रिशूल’ में अपने समकालीन अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के पिता की भूमिका इतने शानदार ढंग से निभाई कि इन्हें ही केन्द्रीय किरदार मान लिया गया।
6 नवम्बर 1985 को इन्होने इस संसार को विदा कह दिया और पंचतत्व में विलीन हो गये। इनकी अंतिम फिल्म ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’ 1993 में रिलीज हुई। भारतीय डाक ने 2013 में इनके स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
संजीव कुमार की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 786वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई। व्यक्तित्व कॉलम में इस बार आपको किस व्यक्तित्व के बारे में जानना है, अपने विचार अवश्य व्यक्त करें हमारे द्वारा उस व्यक्तित्व के बारे में जानकारी देने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा। धन्यवाद।