चिन्मय दत्ता, झारखंड
जीविकोपार्जन के लिये मत्स्य पालन जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा झारखंड राज्य में देखा जा रहा है। राज्य सरकार की योजनाओं ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए भी आदमनी बढ़ाने के नए रास्ते खोले हैं। साथ ही प्रशासन द्वारा भी मछली पालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है जिससे मछली पालन व्यवसाय से जुड़े किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है।
इसी कड़ी में जिले के बोड़ाम प्रखंड के ग्राम पुनसा के रहने वाले लाभुक रविलाल भूईंया के लिए मछली बीज उत्पादन आजीविका का मुख्य जरिया बना है। रविलाल ने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए मछली पालन में संभावनाएं तलाशी और उम्मीद के मुताबिक सफलता भी हासिल कर रहे हैं।
वर्ष 2007 में गठित पुनसा मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्य रविलाल भुईयां समिति गठन के पूर्व से ही जीविकोपार्जन के लिए डिमना जलाशय में मछलियों को पकड़कर बेचते थे। समिति गठन के पश्चात मत्स्य विभाग से प्रशिक्षण तथा कई योजनाओं का लाभ दिया गया। जिला मत्स्य पदाधिकारी अल्का पन्ना ने बताया कि वर्ष 2014-15 में विभाग द्वारा मछुआ आवास से लाभन्वित किया गया।
आवास की समस्या खत्म होने के साथ-साथ अन्य योजनाओं यथा- मत्स्य बीज उत्पादक, जलाशयों में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन से आर्थिक प्रगति दर्ज की गई। वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत 60 प्रतिशत अनुदान पर नाव एंव जाल योजना का भी लाभ दिया गया। रविलाल बताते हैं कि नाव द्वारा मछली पकड़ने से औसत प्रतिदिन 3-4 किलो ग्राम मछली से बढ़कर 10-15 किलो ग्राम हो गया।
वे अपने साथ एक सहयोगी को भी रोजगार दे रहे हैं, साथ ही मत्स्य बीज का उत्पादन तथा जलाशयों में मत्स्य अंगुलिकाओं के संचयन से अच्छी आमदनी हो रही जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सफल हुए हैं।