डुमरिया के किसान तरबूज की खेती से पारंपरिक खेती को पहचान

चिन्मय दत्ता, झारखंड।

पूर्वी सिंहभूम जिला के डुमरिया प्रखण्ड अंतर्गत ग्राम मनोहरपुर पंचायत में कांटाशोल के रहने वाले अंता टुडू एक साधारण किसान परिवार से हैं। गरीबी के कारण वह अपनी पढ़ाई लिखाई नहीं कर सके। प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह घर पर ही खेतीबारी के कार्य में लग गए तथा मुख्य रूप से कृषि कार्य को ही अपना पेशा के रूप में अपनाया। वर्तमान में उनके पास कृषि यंत्र के रूप में डीजल पंपसेट, धान एवं आटा पीसने वाला मशीन एवं स्प्रे मशीन उपलब्ध है। सीमित साधन होते हुए अंता टुडू अपने बुलंद हौसले के कारण आज कृषि के क्षेत्र में अच्छी आमदनी कर रहे है।

वे सालों भर मौसम आधारित खेती बड़े स्तर पर कर रहे है। लगभग एक हेक्टेयर में वह धान की खेती हर वर्ष करते है जिसमें अच्छा मुनाफा होता है। धान से करीब 45 से 50 हजार रू० का आमदनी होता है। हर मौसम में सब्जी आधारित खेती से वार्षिक आय 55 से 60 हजार रूपये होता है। अतिरिक्त समय में होलर मशीन चलाते है, इस तरह से कृषि आधारित कार्य से अंता दुडू को काफी मुनाफा हो रहा है।

अंता टुडू रवि मौसम में वृहत पैमाने पर पत्ता गोभी एवं बैगन की खेती किए थे जिसकी सप्लाई कोलकाता के व्यापारी को किया जिससे ससमय बिक्री होने से अंता टुडू को उपज का सही दाम भी मिला। व्यापारियों के संपर्क में आने से अंता को खरीद- बिक्री करने में सहजता महसूस होने लगी एवं जोखिम भी कम लगने लगा जिससे प्रेरित होकर इस बार तरबूज की खेती की। जनवरी 2023 के प्रथम सप्ताह में करीब 1.5 एकड़ जमीन पर उसने तरबूज की खेती किया। पूरा परिवार मन लगाकर उसमें लग गए। मार्च महीने में ही तरबूज निकलना शुरू हो गया। खेत से ही कोलकाता के व्यापारी आकर तरबूज खरीद लिये।

90 हजार से अधिक का तरबूज बिक्री कर स्थानीय बाजारों में भी तरबूज की बिक्री कर मुनाफा कमाया। कृषि विभाग के आत्मा संस्था से जुड़ने के बाद उनको सिंचाई सुविधा के लिए टपक सिंचाई ईकाई लगाने हेतु सहयोग किया जा रहा है। अंता टुडू कहते हैं यदि ऐसे ही सरकारी लाभ मिले तो आगे बड़े स्तर पर धान की खेती के अलावे साग-सब्जी एवं आने वाले वर्ष में तरबूज की खेती का दायरा बढ़ायेंगे।

 

 

 

 

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