क्यों नंदा को मिली थी सैकड़ों राखियाँ ?

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
नंदा के नाम से चर्चित अपनी दौर की खूबसूरत और बेहतरीन अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी का जन्म 8 जनवरी 1939 को ब्रिटिश भारत के कोल्हापुर में मराठी अभिनेता व निर्माता विनायक दामोदर कर्नाटकी के घर हुआ, जो अब महाराष्ट्र में स्थित है।
बेबी नंदा ने 1948 की फिल्म ‘मंदिर’ से बाल भूमिका के रूप में कैरियर की शुरुआत की। दिनकर पाटिल निर्देशित 1955 की मराठी फिल्म ‘कुलदेवता’ के लिए इनको तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से विभूषित किया था । इसके बाद 1959 की फिल्म ‘छोटी बहन’ में राजेंद्र कुमार की अंधी बहन की भूमिका निभाई जिसकी दर्शकों ने बेहद प्रशंसा करते हुए सैकड़ों राखियाँ इन्हें भेजी थी। 1959 में ही राजेंद्र कुमार के साथ इनकी फिल्म ‘धूल का फूल’ सुपर हिट रही जिसने इनको बुलंदियों पर पहुंचा दिया। 1960 की फिल्म ‘आँचल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार से भी विभूषित हुई।
1960 में यह एक बार फिर फिल्म ‘काला बाजार’ में देवानंद की बहन बनी। वहीं 1965 में शशि कपूर के साथ इनकी फिल्म ‘जब जब फूल खिले’… हिट रही। नंदा ने सुपरहिट नायिका के रूप में ही अपनी पहचान नहीं बनाई बल्कि राजेश खन्ना के साथ 1969 की फिल्म ‘इत्तेफाक’ में खलनायिका की भी भूमिका निभाई। उनकी अंतिम फिल्म 1982 की ‘प्रेम रोग’ रही, जिसमें इन्होंने पद्मिनी कोल्हापुरी की माँ की भूमिका निभाई थी। वर्सोवा में 25 मार्च 2014 को दिल का दौरा पड़ने का कारण इनका प्राणांत हो गया।
नंदा की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम में इन्द्रधनुष की 759वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

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