अर्चना सिंह, पत्रकार।
शिमला,6 नवम्बर 2022 (एजेंसी)। जैसे-जैसे हिमाचल प्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, तस्वीरें साफ होने लगी है। राज्य में 68 सीटों पर 12 नवम्बर को मतदान होगा तथा 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किये जायेंगे। वर्तमान में यहाँ भाजपा का शासन है और जयराम ठाकुर प्रदेश के मुख्य मंत्री हैं।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए जोर लगा रखी है। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा खुद चुनाव कमान संभाल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं।
उधर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। कांग्रेस के कई दिग्गज प्रचार अभियान में जुटे हैं। उन्हें सत्ता बदलने की पूरी उम्मीद है।
प्रचार अभियान के दौरान मिली जानकारी के मुताबिक 68 सीटों वाले विधानसभा में भाजपा को 30 से 31 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि कांग्रेस 31 से 33 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। 7 से 8 सीटें अन्य के खाते में जा सकती हैं।
इस रुझान के अनुसार अगर परिणाम आता है,तो सरकार बनाने के लिए दोनों ही दलों को जद्दोजहद करना होगा। हालांकि हिमाचल प्रदेश का इतिहास रहा है कि यहाँ के लोग लगभग हर चुनाव में परिवर्तन करते रहे हैं। पिछले चुनाव को अगर देखें तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 44 सीटें मिलीं थीं। कांग्रेस की सत्ता चली गयी थी।
वर्तमान में मतदाताओं के सामने सबसे अहम मुद्दे बेरोजगरी, महंगाई एवं भ्रष्टाचार है। निवर्तमान विधायकों से नाराजगी और पुरानी पेंशन योजना भी एक प्रमुख कारण है। राज्य में गुटबाजी से सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को मिलाने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कांग्रेस में भी नाराजगी है।
राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों पक्षों की ओर से उम्मीदवारों के तौर पर निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ,पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस नेता प्रतिभा सिंह एवं विपक्ष के नेता (कांग्रेस) मुकेश अग्निहोत्री सुर्खियों में हैं,लेकिन मतदाताओं का एक बहुत बड़ा तबका वंशवादियों के खिलाफ है, उनमें दोनों दलों से नाराजगी का सबसे बड़ा कारण भी यही देखने को मिला। एल.एस।