“ग्रामीण घरों में नियमित और दीर्घकालिक स्वच्छ नल जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन मिशन के बारे में जागरूकता पैदा करने और समुदायों को उनके स्वयं के संचालन और प्रबंधन में शामिल होने में मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है ।” यह बात हाल ही में नई दिल्ली में यूनिसेफ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मीडिया संवाद में राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक भरत लाल ने कही।
उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वे लोगों को स्वच्छ नल जल के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराएं और जल जीवन मिशन को जन आंदोलन बनाने में मदद करें ।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह भारत भर के लाखों ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ नल जल उपलब्ध कराकर महिलाओं और बच्चों को सदियों पुराने अरुचिकर कार्य से मुक्ति दिलाई जा रही है। भरत लाल ने कहा, “मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों के साथ-साथ हर स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सीएचसी, सामुदायिक केंद्रों आदि को स्वच्छ नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।” यूनिसेफ इंडिया के वाश के प्रमुख निकोलस ओस्बर्ट ने मीडिया को जेजेएम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, ‘हर घर में स्वच्छ नल जल की आपूर्ति प्रदान करने और इस प्रकार समुदायों को सशक्त बनाने, स्वच्छता और पर्यावरण को बढ़ावा देने के द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इस उत्कृष्ट निवेश के अवसर का लाभ उठाएं’।
गौरतलब है कि 15 अगस्त, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित, जल जीवन मिशन को ‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण के बाद विकेंद्रीकृत तरीके से लागू किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय योजना से लेकर क्रियान्वयन और प्रबंधन से लेकर संचालन और रखरखाव तक अहम भूमिका निभाता है।
जल आपूर्ति और बेहतर स्वच्छता पर सरकार के ध्यान के मद्देनजर,15वें वित्त आयोग ने 2021-22 में आरएलबी/पीआरआई को पीने के पानी की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण, और स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव के लिए 26,940 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया। 2021-22 से 2025-26 तक अगले 5 वर्षों के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये का आश्वासित फंड़ है। यह जेजेएम के तहत चल रहे प्रयासों का पूरक होगा। वर्षा जल संचयन, पेयजल स्रोतों को सुदृढ़ करने, जल आपूर्ति को सुदृढ़ करने, ग्रे वाटर प्रबंधन और नियमित संचालन और रखरखाव जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करके ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा इस अनुदान के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए हर संभव प्रयास किए जाने हैं।
2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) के पास नल जल की आपूर्ति थी। कोविड-19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, 5.44 करोड़ (28.31%) से अधिक परिवारों को मिशन के शुभारंभ के बाद से नल जल मुहैया कराया गया। वर्तमान में, 8.67 करोड़ (45.15%) ग्रामीण परिवारों को नल जल उपलब्ध कराया गया है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी और हरियाणा ‘हर घर जल’ बन गए हैं, यानी इन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के सभी ग्रामीण घरों में नल जल की आपूर्ति की गई है।
अब तक 4.5 लाख गांवों में वीडब्ल्यूएससी या पानी समिति का गठन किया गया है और 3.37 लाख गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना तैयार की गई है। फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए 8.5 लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है। वे नमूने एकत्र करते हैं और इसकी गुणवत्ता का परीक्षण करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपूर्ति किया गया जल निर्धारित मानकों के अनुसार है। एफटीके की परीक्षण रिपोर्ट जेजेएम पोर्टल पर अपलोड की जाती है। आज, देश में 2,000 से अधिक जल परीक्षण प्रयोगशालाएँ हैं जो पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए मामूली कीमत पर जनता के लिए कार्यरत हैं।
जल जीवन मिशन के तहत, पानी की कमी वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत गांवों को प्राथमिकता दी जाती है। जेई-एईएस प्रभावित जिलों में नल जल की आपूर्ति 8 लाख (3%) घरों से बढ़कर 1.19 करोड़ (39.38%) घरों में हो गई है और आकांक्षी जिलों में यह 24 लाख (7%) घरों से 1.28 करोड़ (38%) हो गई है।
प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ विजन के सिद्धांत का अनुपालन करते हुए इस मिशन का आदर्श वाक्य है कि ‘कोई भी छूटे नहीं’ और प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। वर्तमान में 83 जिलों के प्रत्येक घर और 1.28 लाख से अधिक गांवों में नल से जलापूर्ति हो रही है।