चिन्मय दत्ता।
कर्नाटक के शहर बेंगलुरु में 25 सितम्बर 1939 को सादिक अली खान तनोली के घर जुल्फिकार अली शाह खान का जन्म हुआ। माँ फातिमा के पुत्र जुल्फिकार को हिंदी फिल्मों की अभिनेता, निर्देशक और निर्माता फिरोज खान के नाम से बॉलीवुड में सबसे लोकप्रिय स्टाइल आइकन के नाम से जाना गया। 1946 में आई अशोक कुमार की फिल्म ‘किस्मत’ देखने के बाद अशोक कुमार से प्रेरित होकर फिरोज खान ने अभिनय में अपना कैरियर बनाने का निर्णय लिया।
लगभग 60 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले इस आइकन ने 1960 की फिल्म ‘दीदी’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। उसके बाद 1962 में सिमी गरेवाल के साथ अंग्रेजी भाषा की फिल्म ‘टार्जन गोज टू इंडिया’ में अभिनय किया और 1965 के फिल्म ‘ऊँचे लोग’ में अशोक कुमार के साथ नजर आए। इसके बाद 1969 की फिल्म ‘आदमी और इंसान’ के लिए फिल्म फेयर अवार्ड से इन्हें विभूषित किया गया।
इन्होंने लियोपोल्ड के शाही परिवार के राजकुमार की मदद से अपनी 1972 की फिल्म ‘अपराध’ के लिए जर्मनी के नूर्न वर्ग कार रेस की शूटिंग की। इसके बाद 1972 की हॉलीवुड क्लासिक ‘द गॉड फादर’ से प्रेरित होकर फिरोज ने 1975 में फिल्म ‘धर्मात्मा’ को निर्देशित और निर्मित किया। वर्ष 1980 में फिरोज ने ‘कुर्बानी’ बनाई जो उनके फिल्मी करियर की सबसे सफल और बॉक्स ऑफिस हिट थी।
2000 में फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट से विभूषित होने के बाद 2007 में अपनी अंतिम फिल्म ‘वेलकम’ में नजर आए। इस सफर पर चलते हुए 27 अप्रैल 2009 को मुम्बई में इनका प्राणांत हो गया। यह पशुओं से बेहद प्रेम करते थे इसलिए इनके हर फिल्म में कोई न कोई पशु अवश्य रहा है।
फिरोज खान की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 744वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।