चिन्मय दत्ता।
भारतीय फिल्म जगत की सक्षम अभिनेत्रियों की सूची में शबाना आज़मी नाम सबसे ऊपर आता है रंगमंच और टेलीविजन में भी इनकी विशेष पहचान है क्योंकि ये हर अभिनय के अनुरूप उसी सांचे में ढल जाती है। शबाना आजमी का जन्म 18 सितम्बर 1950 को हैदराबाद के प्रसिद्ध शायर और कवि कैफ़ी आज़मी के घर हुआ। माँ शौकत आज़मी भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की अनुभवी अभिनेत्री रही।
शबाना ने मुम्बई स्थित क्वीन मैरी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद मुम्बई के सेंट जेवियर कॉलेज से मनोविज्ञान में स्नातक किया और इसके बाद पुणे स्थित भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान के छात्रा रही। माँ से विरासत में मिली अभिनय प्रतिभा को सकारात्मक मोड़ देकर इन्होंने 1974 में श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘अंकुर’ से फिल्मी अभिनय में पदार्पण किया और पहली ही फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर लिया।
इसके बाद शबाना ने ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ फिल्मों में की गई सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए क्रमशः 1983, 1984 और 1985 लगातार तीन साल तक राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किया। 1988 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री से विभूषित किया। इतना ही नहीं, इन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी अपने नाम किया है।
1983 की ‘मासूम’ में मातृत्व की कोमल भावनाओं को जीवंत किया और 1996 की ‘फायर’ जैसी विवादास्पद फिल्म में इन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रमाण दिया। शबाना ने अलग-अलग सशक्त भूमिका में आकर सिने प्रेमियों में प्रभावित किया। 1999 की फिल्म ‘गॉड मदर’ में प्रतिभाशाली महिला डॉन की भूमिका निभाकर दर्शकों को हैरत कर दिया वहीं 2020 की बाल फिल्म ‘मकड़ी’ में चुड़ैल की भूमिका निभाई।
18 सितंबर को शबाना आज़मी के जन्म दिवस पर पाठक मंच के इन्द्रधनुष कार्यक्रम के 743वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।