बीसवीं सदी के बेहतरीन चित्रकार रहे नारायण श्रीधर बेन्द्रे

     चिन्मय दत्ता।
बीसवीं सदी के भारतीय चित्रकार नारायण श्रीधर बेन्द्रे  का जन्म 21 अगस्त 1910 को मध्य प्रदेश के इंदौर में देशस्थ ऋग्वेदी ब्राम्हण परिवार में हुआ था।   इन्होंने 1933 में आगरा यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा के बाद प्रसिद्ध गुरु डी.डी. देवीलालकर से कला की शिक्षा प्राप्त की और साथ ही 1934 में मुंबई से चित्र कला में डिप्लोमा किया। उसके बाद मुंबई में एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में इन्होंने अपने काम की शुरूआत की।

इस दौरान इन्होंने 1941 में मुंबई आर्ट सोसायटी का स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसी बीच मुंबई में वर्ष 1943 में नारायण श्रीधर बेन्द्रे ने अपनी एकल प्रदर्शनी का भी आयोजन किया। 1945 में शांतिनिकेतन में चित्रकारी के दौरान इनकी मुलाकात नंदलाल बोस, राम किंकर और बिनोद बिहारी मुखर्जी और कोलकाता में ही जेमिनी रॉय से हुई।
एक बेहतरीन चित्रकार के रूप में  इन्होंने 1947 से 1948 के बीच संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, न्यूयॉर्क, फ्रांस, पोलैंड, बेल्जियम की यात्रा की। वहीं 1958 में पश्चिम एशिया और लंदन और 1962 में अमेरिका और जापान की यात्रा की।
चित्रकारी के लिये नारायण श्रीधर बेन्द्रे को 1955 में ललित कला अकादमी से राष्ट्रीय पुरस्कार 1969 में पद्म श्री , 1984 में विश्व भारती विश्वविद्यालय में अबान गगन पुरस्कार, 1984 में कालिदास सम्मान व  1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसी सफर पर चलते हुए 19 फरवरी 1992 महाराष्ट्र में इनका प्राणांत हो गया।
नारायण श्रीधर बेन्द्रे की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 739वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

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