बिजली उत्पादन का बेहतर विकल्प है अक्षय ऊर्जा — हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री

चिन्मय दत्ता, झारखंड।

अक्षय ऊर्जा राष्ट्र का भविष्य है। अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए झारखंड सरकार ने नीतिगत पहल की है। सौर ऊर्जा नीति-2022 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं जिसमें निवेशकों को प्रोत्साहन, सिंगल विंडो सिस्टम, पेमेंट सिक्योरिटी मेकैनिज्म, छूट और सब्सिडियरी सहित कई सुविधा उपलब्ध करायी गई है। यह बात 5 जुलाई 2022 को रांची में सौर ऊर्जा नीति-2022 का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही।

उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टिकोण से झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां पहाड़, नदी-नाले, घने जंगल सहित कई दुर्गम क्षेत्र हैं। ऐसे जगहों पर ट्रांसमिशन के माध्यम से बिजली पहुंचाना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। इन सभी जगहों पर संचरण लाइन के कनेक्टिविटी में कठिनाइयां और बाधाएं उत्पन्न होती हैं जिससे आमजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे जगहों पर सौर ऊर्जा के माध्यम से घर-घर तक बिजली पहुंचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज इसकी शुरुआत गिरिडीह से हो रहा है। गिरिडीह जिला को सोलर सिटी के रूप में चयनित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम सौर ऊर्जा नीति को सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि गांवों में भी पहुंचाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पेयजल-सिंचाई से लेकर घरेलू दिनचर्या में भी इस योजना का लाभ लोगों को मिले इस सोच के साथ कार्य योजना बनाकर हम आगे बढ़ रहे हैं।

अक्षय ऊर्जा के माध्यम से हर वो काम लोग कर सकें, जो काम कोयले से उत्पादित बिजली से होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां पारंपरिक बिजली स्रोतों से बिजली की कीमत प्रति यूनिट 5 रुपए से अधिक है वहीं सौर ऊर्जा से उत्पादन की गई ऊर्जा की कीमत 2 से 3 रुपया यूनिट ही होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में कई ऐसे जिले हैं जहां पर  30 से 40 मेगावाट की बिजली की खपत होती है। इन जिलों में 400 से 500 एकड़ भूमि पर सौर ऊर्जा के माध्यम से पर्याप्त बिजली उत्पादन किया जा सकता है। हमें इन सारी बिंदुओं पर विचार करते हुए अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करते हुए राज्य को समृद्ध बनाना है।

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