चिन्मय दत्ता, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा।
मनोहरपुर प्रखण्ड के डिंबुली गाँव के किसान कोहड़े की खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। मनोहरपुर प्रखण्ड के डिबुली गाँव की महिला किसान बासमती सरदार अपने 5 एकड़ के खेत मे कोहड़े की खेती करती हैं। 5 महीने के किए जाने वाली कोहड़े की खेती में मेहनत बहुत लगती है , लेकिन जब उसकी फसल तैयार हो जाती है तो इससे आमदनी भी अच्छी होती हैं जिससे किसान को फसल मे मुनाफा दिखने लगता है।
बासमती पिछले 4 साल से कोहड़े की खेती कर रही हैं। वह अपने उपज को पड़ोसी राज्य भी बिक्री के लिए भेजती हैं। लेकिन पिछले 02 साल से कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण उनकी उपज की बिक्री मे असर पड़ा हैं। बिक्री कम हुई है जिससे आमदनी में भी कमी आई जिससे नुकसान दिखने लगा। इस साल बासमती के खेत मे 12 मेट्रिक टन कोहड़ा हुआ लेकिन इसकी मार्केटिंग और बाज़ार की जानकारी के अभाव के कारण उन्हें लगने लगा कि इस साल भी नुकसान होगा।
लेकिन जेएसएलपीएस के द्वारा चलाई जा रही जोहार परियोजना के अंतर्गत कोलहन एग्री प्रोड्यूसर कंपनी उनकी उम्मीद का किरण बनी। कोलहन एग्री प्रोड्यूसर कंपनी ने इसकी बिक्री की ज़िम्मेदारी लेती हुए दिल्ली के बड़े बाज़ार से उन्हें जोड़ा और बासमती अपने उपज को बेच पा रही हैं। 12 मेट्रिक टन के कोहड़े की बिक्री से उन्हें लाख रुपये की आमदनी हुई है। उन्हें देखकर जिले की अन्य महिलाएं भी प्रेरित हो रही हैं।