मीमांसा डेस्क।
हमारे देश में दूध को लेकर यह मिथ्या है कि अगर दूध नहीं पियेंगे तो शरीर को कैल्शियम कहाँ से मिलेगा जबकि सच्चाई कुछ और है। कैल्शियम शरीर में तब मिलेगा जब विटामिन डी की मौजूदगी होगी और वो सूर्य की रोशनी से मिलती है।
डॉक्टर जे. पी. एस. साहनी, के अनुसार हमारे देश में नब्बे प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी के शिकार हैं जिससे उनमें ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी बड़ी संख्या में हो रही है और इसका कारण हमारी जीवनशैली है जिससे सूर्य की रोशनी नदारद है। जहाँ तक दूध में कैल्शियम के होने की बात है तो डॉ. साहनी कहते है कि भारतीय खाने में भी बहुत सारी चीजें हैं जिनमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम , विटामिन और आयरन मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल हम स्वस्थ रहने के लिये कर सकते हैं। उनमें फल , सब्जियाँ , दालें , अनाज , चावल , गेहूँ , बाजरा , सोयाबीन और मेवे हैं। मेवा तो अपने आप में सम्पूर्ण आहार के रूप में माना जाता है , क्योंकि इसमें सभी प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते है। जहाँ तक दूध का सवाल है ,
लगभग बीस से तीस प्रतिशत लोगों में लेक्टोस इन टोलरेंस के होने से उन्हें दूध पीने से पेट में गैस और पेट खराब की शिकायत होती है। कई लोगों में दूध से एलर्जी होने से उन्हें नजला जुकाम की भी परेशानी होती है। दूध की वजह से कई लोगों में एनिमिया की भी शिकायत होती है।
इसके बावजूद हमारे खाने – पीने में शुरू से ही दूध को पौष्टिक आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है इसलिये दूध की आदत को नकारा नहीं जा सकता। डॉ. साहनी के अनुसार हम सोयाबीन के दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर उससे बनी चीजों का हम खाने में प्रयोग कर सकते हैं।
बाजार में मिल रहे दूध में मिलावट के कई मामले सामने आते रहते हैं जिनमें कुछ हारमोन को इंजेक्ट करके दूध को बढ़ाया जाता है जिनमें कई जानवरों के हरमोन्स मिले होते हैं।
डॉ. साहनी के अनुसार ये दूध बहुत नुकसानदेह होता है। बाजार में मिल रहे दूध में टोन्ड दूध और उससे बना सामान खाने में शामिल किया जा सकता है।
नोट – यह लेख केवल जानकारी के लिये है अगर आपको किसी तरह की कोई शारीरिक समस्या है तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श करे।
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