आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में भला कौन थकता नहीं होगा, कोई शारीरिक रूप से थका हुआ है तो कोई मानसिक तनाव को लेकर परेशान है.अलग-अलग शोधों में इस बात की पुष्टि होती है. मीडिया रिपोर्ट भी मानसिक तनाव के बढ़ते मामलों की ओर इशारा कर रही है. क्योंकि मीडिया रिपोर्ट में भी आए दिन इस प्रकार की खबरें देखने और सुनने को मिलती है, जो खुशहाल जीवनशैली के लिए चिंता का विषय बनकर उभर रहा है. ऐसे में मानसिक तनाव को कैसे कम करें, समय रहते कैसे रोकथाम करें? यह सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
- क्या है प्राणायाम? कैसे करें…
प्राणायाम, श्वास को नियंत्रित करने की एक उत्तम यौगिक प्रक्रिया है. जिसमें प्राण का अर्थ होता है “जीवनी शक्ति या ऊर्जा और आयाम का अर्थ विस्तार या नियंत्रण से है, प्राणायाम के माध्यम से तनाव को कम करने,मन को शांत और स्थिर करने, शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है. प्राणयाम करने में बहुत सरल और सहज होता है. इसके फायदे भी किसी चमत्कार से कम नहीं है।
- जानेँ भ्रामरी प्राणायाम को
भ्रामरी शब्द का सामान्य अर्थ ‘भ्रमर’ से लिया गया है. अर्थात मधुमक्खी/भौंरे की आवाज की तरह जिस प्राणायाम को करते है. वो प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम कहलाता है. इसमें जब हम श्वास को छोड़ते है तो मधुमक्खी की तरह आवाज निकलती है.जो हमारे दिमाग को शांत करने के साथ-साथ सूकुन का भी गहन अहसास करवाता है. भ्रामरी प्राणायाम से निकलने वाली आवाज हमारे तंत्रिका तंत्र पर सीधा प्रभाव डालती है.इसको करने से विचारों की शून्यता और सकारात्मक भाव उत्पन्न होता है.विशेषतौर पर बच्चों के लिए भ्रामरी प्राणायाम किसी रामबाण से कम नहीं है।