नई दिल्ली, सितंबर 2025:
स्टेम सेल थैरेपी आज चिकित्सा जगत में उम्मीद की नई किरण बनकर उभर रही है। दुनिया भर में सफलता की परिभाषा गढ़ती यह तकनीक जीवन बचाने की अद्भुत क्षमता रखती है। हाल ही में सिंगापुर में एक 38 वर्षीय भारतीय मूल के युवक को रक्त कैंसर (मल्टिपल मायलोमा) की गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ा।
डॉक्टरों ने उसका स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया और उसकी ज़िंदगी बच गई। यह घटना हमें याद दिलाती है कि क्यों लोग अब स्टेम सेल बैंकिंग को अपने और अपने परिवार के भविष्य की सेहत के लिए ज़रूरी मानने लगे हैं।
परिवार में पहले कभी कैंसर का कोई मामला नहीं था, इसलिए अचानक हुई बीमारी की खबर ने मरीज को हिला दिया। जब इलाज के ज़्यादातर रास्ते बंद लग रहे थे, तब सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (NUH) के डॉक्टरों ने उसे स्टेम सेल ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी।
यही उसके लिए एकमात्र पक्का इलाज था। इलाज के दौरान मरीज को रोज़ाना इंजेक्शन दिए गए ताकि उसका शरीर नए और स्वस्थ स्टेम सेल बना सके। बाद में इन्हें इकट्ठा करके साफ किया गया और फिर वापस शरीर में डाल दिया गया। इससे खराब बोन मैरो की जगह नए और स्वस्थ सेल्स आ गए और उसकी जान बच गई।
मरीज ने कहा कि, “रक्त कैंसर का पता चलने के बाद मैंने उम्मीद छोड़ दी थी। परिवार में किसी को यह बीमारी नहीं थी, न मैंने कभी धूम्रपान किया और न ही शराब पी। सब कुछ ठीक था, लेकिन अचानक ज़िंदगी बदल गई। मेरी जान स्टेम सेल्स ने ही बचाई।”
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट न सिर्फ़ ज़िंदगी बढ़ाता है बल्कि……..
भारतीय जर्नल ऑफ हेमेटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन में छपे एक अध्ययन में पाया गया कि मल्टिपल मायलोमा (रक्त कैंसर का एक प्रकार) के जिन मरीजों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट कराया, उनमें से 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग पाँच साल तक ज़िंदा रहे। वहीं जिन मरीजों का इलाज सिर्फ़ दवाओं से किया गया, उनके नतीजे इतने अच्छे नहीं रहे। यह साफ दिखाता है कि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट न सिर्फ़ ज़िंदगी बढ़ाता है बल्कि मरीज की सेहत और जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर करता है।
क्रायोवीवा लाइफ साइंसेज़ इंडिया के सीईओ उपमन्यु रॉय चौधरी ने कहा,“चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है और हम इसका फायदा स्टेम सेल बैंकिंग के ज़रिए उठा रहे हैं। कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों के इलाज में स्टेम सेल्स बेहद मददगार साबित हो रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा,“माता-पिता अगर अपने बच्चे के स्टेम सेल्स सुरक्षित रखते हैं तो यह उनके परिवार के लिए भविष्य में एक सुरक्षा कवच बन सकता है। इससे खून की बीमारियों, कुछ तरह के कैंसर और इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याओं से बचाव में मदद मिल सकती है।”
भारत में स्टेम सेल को सुरक्षित रखने का बढ़ रहा है चलन
भारत में स्टेम सेल को सुरक्षित रखने का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अब कई अस्पताल मल्टिपल मायलोमा और खून से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चे के जन्म के समय स्टेम सेल सुरक्षित करने का यह एक ही मौका मिलता है। इसलिए कई होने वाले माता-पिता इसे सिर्फ़ वैज्ञानिक नहीं बल्कि भावनात्मक निवेश भी मानते हैं, जो भविष्य में परिवार की सेहत के काम आ सकता है।
आज स्टेम सेल थैरेपी और उन्हें सुरक्षित रखना, प्रीवेंटिव हेल्थकेयर यानी बीमारियों से पहले ही बचाव करने का एक अहम तरीका बन रहा है। असली मरीजों के अनुभव और डॉक्टरों के शोध बताते हैं कि अगर आज स्टेम सेल्स सुरक्षित रखे जाएँ, तो भविष्य में यह कई गंभीर बीमारियों के इलाज में जीवन बचाने का बड़ा साधन बन सकते हैं।
डॉ. के. शिल्पी रेड्डी, क्लिनिकल डायरेक्टर और एचओडी, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, किम्स कडल्स कोंडापुर ने बताया कि भारत में अब तक लाखों परिवार अपने नवजात बच्चे के स्टेम सेल्स सुरक्षित करा चुके हैं। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि स्टेम सेल्स से 80 से ज़्यादा गंभीर बीमारियों जैसे खून की बीमारियाँ, कैंसर, आनुवांशिक रोग और इम्यून सिस्टम की कमी का इलाज संभव है। जिन मरीजों को कीमोथैरेपी दी जाती है, उनमें स्टेम सेल्स इम्यून सिस्टम को दोबारा मजबूत बनाने में मदद करते हैं और कई बार यह बोन मैरो ट्रांसप्लांट का विकल्प भी साबित होते हैं।