अफवाह

 

बीमार मै पड़ा हवा में बात यूँ उड़ी
इस सख्स का दुनियाँ से जनाजा निकल गया।

बद कुछ ने कहा , कुछ ने नेक और कुछ ने यूँ
किसका नहीं इस हादसे से दिल दहल गया।

एक दोस्त ने पत्नी से मेरी फोन पर कहा
क्यों काल का कुचक्र आप पर ही चल गया।

आफिस में समारोह एक हो रहा था जो
वो क्षण में कंडोलेंस सभा में बदल गया।

कैसे हैं मियाँ आप ? ये पूछा न किसी ने
इस बात से क्या जिस्म मेरा मन भी जल गया।

अफवाह वो काई है जो बक्शा न किसी को
हर शख्स जो इस पर चला हरदम फिसल गया।

उपर्युक्त पक्तियां स्वर्गीय बी एन झा द्वारा लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।