दिल की कविता ; टूटते दिल और तन्हाई की —– ये तो याद है

टूटते दिल और तन्हाई की ये तो याद है।
गीत भी लिक्खे बहुत से पर ग़ज़ल से प्यार है।

लोग कहते हैं कि बिना ये वज़्न के हो जाएगी
हैं ग़लत ये बात मुझको देखिए इंकार है।

कोशिशों से सीख लेंगे आप कहना भी ग़ज़ल
उल्टा सीधा कह रहे हैं लोग बातें  ये बेकार है ,

आपकी हर भावना को व्यक्त करती है ग़ज़ल
इश्क़ के हर दौर में इसका अलग संसार है ,

है बहुत आसां अगर जो सीखना चाहो ग़ज़ल
सीख लोगे तो ग़ज़ल पर आपका उपकार है।

उपर्युक्त पक्तियां  मित्र ग़ाज़ियाबादी द्वारा लिखी गई है।