आपकी सेहत ; मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें लोग, सरकार को करने होंगे सार्थक प्रयास

लक्ष्मीनारायण योगाचार्य।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा बन गया है। देश में लगभग 15% लोग किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या, जैसे अवसाद, चिंता या तनाव, से जूझ रहे हैं। फिर भी, सामाजिक कलंक और जागरूकता की कमी के कारण लोग खुलकर मदद नहीं मांगते या वो हिचहिचकाते है, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे बेहतर करने के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान जैसे प्राचीन भारतीय उपाय प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं। सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में सार्थक प्रयास करने होंगे।

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का पहला कदम है सामाजिक कलंक को खत्म करना। लोग अक्सर मानसिक समस्याओं को कमजोरी मानते हैं, जिससे वे उपचार से वंचित रह जाते हैं। जागरूकता अभियान, खासकर स्कूलों और कार्यस्थलों पर, लोगों को लक्षणों की प्रारंभिक पहचान और मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसके साथ ही, योग, प्राणायाम और ध्यान जैसी प्राचीन और गुढ़ विद्यायें, मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

योग एक समग्र दृष्टिकोण है, जो शरीर और मन को संतुलित करता है। आसन जैसे ताड़ासन, वृक्षासन और बालासन तनाव को कम करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करते हैं। योग न केवल शारीरिक लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि मस्तिष्क में सेरोटोनिन जैसे सुखद हार्मोन के स्राव को भी प्रोत्साहित करता है। नियमित योगाभ्यास चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक है। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन के अनुसार, सप्ताह में तीन बार योग करने से तनाव का स्तर 30% तक कम हो सकता है। प्राणायाम, या श्वास नियंत्रण, मानसिक शांति के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। अनुलोम-विलोम और भ्रामरी जैसे प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाते हैं। भ्रामरी प्राणायाम, जिसमें हल्की गुनगुनाहट की जाती है, तनाव और अनिद्रा को कम करने में विशेष रूप से प्रभावी है। यह मन को शांत कर ध्यान की स्थिति में ले जाता है। प्राणायाम का नियमित अभ्यास मन को स्थिर करने और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

ध्यान, या मेडिटेशन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक और प्रभावी उपाय है। माइंडफुलनेस मेडिटेशन, जिसमें व्यक्ति अपनी सांसों और वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करता है, चिंता और नकारात्मक विचारों को कम करता है। एक 10 मिनट का दैनिक ध्यान सत्र भी मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ा सकता है। ध्यान आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ और नियंत्रित कर सकता है।

सरकार को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में मनोचिकित्सकों और काउंसलर की कमी को दूर करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं। साथ ही, योग और ध्यान को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में शामिल करना चाहिए। स्कूलों में योग को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जा सकता है, ताकि युवा पीढ़ी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो। 24/7 हेल्पलाइन और डिजिटल प्लेटफॉर्म भी लोगों को तुरंत सहायता प्रदान कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और योग, प्राणायाम, ध्यान जैसे उपायों का समावेश समाज को स्वस्थ और संतुलित बना सकता है। व्यक्तियों को अपनी मानसिक सेहत पर ध्यान देना चाहिए, और सरकार को नीतियों व संसाधनों के माध्यम से इसे प्राथमिकता देनी चाहिए। एक स्वस्थ मन ही एक स्वस्थ समाज की नींव है।

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