हर घटना को
निपट घटना ही रहने दो
संवाद में मत बुनो
अर्धसत्य को वरना
निमंत्रण मिल जाएगा।
और उसे लीपिबद्ध करके
पुनर्जीवित करने का दावा
सत्य को दफनायेगा।
लिखना हो कागज पर
या मस्तिष्क के पन्नों पर
हो नहीं सकता यह –
संवाद के बराबर
और संवादहीनता की स्थिति है
घटना की अनुभूति।
जीवित सत्य है , अनुभूति।
अधमरा सत्य है संवाद।
लेखन है मृत सत्य ,
पिरामिड का मुर्दा
जिसका मसाले में लिपटा जीवित सा दीखता
जिस्म है सुरक्षित।
आत्मा अनुपस्थित।
इतना खतरनाक है ये
जो तरुण वर्तमान को
वृद्ध भूत में ढकेलता है।
बाल भविष्य के
भविष्य से खेलता है।
उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।