शिकायतें तो बहुत है मुझे तुमसें ——— मगर शिकायत मै करूं कैसे

 

 

 

शिकायतें तो बहुत है मुझे तुमसें
मगर शिकायत मै करूं कैसे ?

अपनी हर बात कहने की कोशिश करुँ
मगर उससे मेरी बात न समझ आए।

दिल में तो बहुत है, कुछ कहने के लिये
पर जिक्र तुझे करुँ कैसे ?

वो इस तरह से खफ़ा है मुझसे
कि उन्हें शिकायत करुँ कैसे ?

जब वह हमारे सामने आ जाते है तो
हम उन्हें कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाते है।

शिकायतें तो बहुत है मुझे उनसे
मगर शिकायत मै करूं कैसे ?

 

उपयुक्त पक्तियां प्रकाश गुप्ता द्वारा लिखी गईं है।