मीमांसा डेस्क।
कुत्ता बहुत वफादार जानवर है इसीलिये कई घर में बड़े लाड -प्यार से पाला जाता है। कुछ इसे शान समझते हैं तो कई रखवाली के लिये भी रखते हैं।
मगर यही जब आक्रामक हो जाता है तो इसके काटने से सबको डर लगता है। डर है रेबीज का रेबीज जो हमारे यहां 99 प्रतिशत कुत्तों से ही फैलता है । कुछ लोग बिल्ली या फिर अन्य जानवरों के भी शौकीन होते हैं, और उन्हें पालतू बनाकर रखते हैं । लेकिन इन सारी बातों के साथ – साथ यह ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है कि उस पालतू के स्वास्थ्य और उससे जुड़े हमारे स्वास्थ्य के होने वाले खतरों का भी ध्यान रखा जाए ।
इसके लिए उन्हें निश्चित समयांतराल पर रेबीज के वैक्सीन लगाने की जरूरत है।
इस बारे में पेट केयर अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर सतीश यादव कहते हैं कि खासकर गरम खून वाले जानवरों में रेबीज होने की संभावना काफी अधिक होती है। अगर किसी को रेबिड यानी रेबीज से सक्रमित ने काट लिया हो या उसके लार के संपर्क में आने पर भी रेबीज होने की पूरी संभावना होती है। ऐसे में रेबीज के वैक्सीन का पूरा कोर्स लेना जरूरी होता है।
इसे क्रमानुसार काटने के पहले दिन पहला इंजेक्शन , काटने के तीसरे दिन दूसरा इंजेक्शन, काटने के सातवे दिन तीसरा इंजेक्शन काटने के चौदहवे दिन चौथा इंजेक्शन और काटने के 28 वे दिन पांचवा इंजेक्शन दिया जाता है। कोशिश करे कि पहला इंजेक्शन जानवर के काटने के 24 घंटे के अंदर ले लिये जाएं और बाकी क्रमानुसार लेने से रेबीज होने की आशंका से बचा जा सकता है । इस बात का ख्याल रखना भी जरूरी है कि इस वैक्सीन का असर चाहे व्यक्ति हो या पशु 6 महीने तक रहता है उसके बाद दोबारा काटने की स्थिति में पुन वैक्सीन की जरूरत होती है।
डॉक्टर यादव कहते है कि रेबीज से बचने का एकमात्र ईलाज उसका वैक्सीन ही है जो जानवरो के संपर्क में आने पर सावधानीपूर्वक लिया जाता है।
चाहे पालतू हों या फिर गलियों में घूमने वाले कुत्ते बिल्ली , वैक्सीनेशन सबकी जरूरत है।
फिर भी ज्यादातर कुत्तों से ही रेबीज का खतरा होता है क्योंकि यह गरम खून के तो होते ही हैं , हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में ज्यादा करीब होते हैं। इसके साथ ही बचाव के लिए उनके हाव – भाव को समझना भी जरूरी होता है।
जानलेवा है रेबीज
रेबीज के लक्षण एक बार नजर आ जाए तो बचना मुश्किल है। यह लक्षण काटने के 14 दिन के अंदर 3 – 4 महीने बाद या फिर 10-11साल बाद भी दिखने लगता है। जिसे काफी घातक या जानलेवा कह सकते हैं। यह भी ध्यान रखना जरूरी होता है कि रेबिड के संपर्क में आने वाला भी अगर किसी तरह उसके लार से नहीं बच पाये तो वह भी रेबीज का शिकार हो सकता है।
इसीलिये अगर आपने पालतुओ या फिर आवारा कुत्ते बिल्लियों में ऐसे लक्षण देखें, तो तुरंत संबंधित विभागों को जानकारी दें ताकि इसे फैलने से रोका जा सके।