एक ख्वाब अधूरा है, उसे पूरा कर पाओगे क्या ?
साथ रहना है मुझे तुम्हारे, उसे निभा पाओगे क्या ?
जो शिकवा है उसे दूर कर दो न, मुझसे एक बार
फिर क्या तुम मेरी दुबारा से सुन पाओगे क्या ?
एक अरसा बीत गया हैं तुमसे बात नहीं हुई, मेरी
अगर मै कॉल करूं तुम्हें तो उठा पाओगे क्या ,
मुझे एक बार जिंदगी में फिर से दुबारा मौका दे पाओगे क्या ,
हां मानता हूँ हुई मुझसे गलती
लेकिन मैं तुमसें देखो इसके लिये क्षमा मांग रहा हूं,
हां तुमको मैं अपना खुदा मान रहा हूं।
ये शिकवा भरी रातें मै अकेले काट रहा हूं,
हर रोज तुमको मैं अपना मान रहा हूं।
और देखो अब भी मै यही कह रहा हूं…
मै चिराग हूं तेरे आशियाने का, कभी न कभी तो बुझ जाऊंगा।
आज शिकायत है तुझे मेरे उजाले से, कल अंधेरे मे भी तुझे बहुत याद आऊंगा।
उपयुक्त पंक्तियां नितिन रुहेला द्वारा लिखी गई है।