पल पल करते पल वो सारे

पल पल करते पल वो सारे बीत गए ,
चुल्लू भर थे सपने सारे रीत गए।
गीत – ग़ज़ल की बातें खोई – खोई सी ,
जब से गुजरे लम्हों के सब गीत गए।
आहें भर – भर याद करुँ या रोऊ मैं ,
कैसे उन सपनों में फिर से खोऊं मैं।
अब तो उन छंदो के लय , सुर , गीत गए ,
जब से गुज़रे लम्हों के सब मीत गए।
आने – जाने उनको खोने पाने में,
जाने क्या अपराध किया अनजाने में।
कैसे भावों के सारे सुर – संगीत गए ,
जब से गुज़रे लम्हों के सब मीत गए।
अमित तिवारी