चमत्कारिक गुणों से भरपूर सहजन में होते हैं कई तरह के रोगों के रोकथाम के गुण

हरी सब्जियों में काफी मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं। इन्हीं सब्जियों में शामिल है, सहजन, जिनकी दुनियाभर में तेजी से मांग बढ़ रही है। चमत्कारिक गुणों से भरपूर सहजन में कई तरह के रोगों के रोकथाम के गुण होते हैं। यह हमारे लिये उत्तम औषधि का काम करता है।

इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है।

उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है।

सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं।

इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं।

सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में ४ गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।

सहजन का इस्तेमाल सैकड़ों वर्ष से उपचार और मानव शरीर को फायदा पहुंचाने वाले गुणों की वजह से किया जाता रहा है। इसी वजह से वैश्विक स्तर पर सहजन के उत्पादों की मांग बढ़ी है। इसके तहत सहजन की पत्तियों से बने पाउडर और सहजन के तेल की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है।

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय संगठन और संस्थान भी सहजन के पोषक तत्व प्राप्त करने और फोर्टिफाइड भोजन बनाने के इस्तेमाल के रूप में भी संभावना तलाश रहे हैं। दुनिया भर में उपभोक्ता सहजन का इस्तेमाल दवाओं, पोषक तत्व और भोजन के लिए करते हैं।

नोट- यह लेख विभिन्न संकलनों पर आधारित है, और केवल जागरूकता के लिये है।