पूजा पपनेजा।
दुनिया मे कुछ ऐसी कहानियाँ होती है, जो हमारे दिल को छू जाने के साथ हमारी सोच मे भी एक नया परिवर्तन लाती है। आज ऐसी ही कहानी के बारे मे आपसे हम चर्चा करने वाले है । ये कहानी विहान की है, वैसे तो विहान विहान मथुरा का रहने वाला था, उसकी उम्र मात्र 10 वर्ष थी, अपने माता – पिता का एक अकेला पुत्र था। आपको बता दें कि, विहान अपने पिता के बहुत करीब था, वह अपना बचपन बहुत अच्छे ढंग से जी रहा था , इसके साथ ही वह अपनी कक्षा मे भी सबसे होशियार बच्चा था।
लेकिन एक दिन ऐसा आता है, जिसमे वो कैंसर जैसी बीमारी से ग्रस्त हो जाता है। उसका इलाज उसके माता – पिता दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल मे करवाते है । उसका इलाज लगभग एम्स हॉस्पिटल मे 1 साल तक चला था। इसके अलावा एम्स के डॉक्टरों ने भी उसे बचाने की पूरी कोशिश की थी ।
लेकिन वो भी आखिरी समय मे हार,,, मान गए थे। इसके साथ ही इस बुरी परस्थिति मे उसके माता पिता साथ खड़े थे। उससे क्या पता था कि ज़िन्दगी एक नया मोड़ ले लेगी ? वो जिंदगी की जंग हार जाएगा। वैसे तो विहान बड़ा होकर आर्मी अफसर बनना चाहता था, लेकिन उसकी ये कहानी अब अधूरी रह गई है। क्योकि विहान अब हमारे बीच नहीं रहा, हम अगर इस कहानी पर विचार करे, तो हम ये देखेंगे कि वो बच्चा अपने सपनो की तलाश यूही छोड़ गया है। ना ही वह बच्चा अपना बचपन ढंग, से जी सका उसका सपना सपना ही बन कर रह गया।
इसके साथ ही माता – पिता का अपने बच्चे को खोना बहुत ही दर्दनाक था, अगर हम खुद इस परस्थिति को समझने की कोशिश करे, तो हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते, कि इस समय उसके माता – पिता अपने आपको कैसे सँभाल रहे होंगे?
इस कहानी मे सबसे दिलचस्प बात ये थी, कि उसके माता – पिता, अपने बच्चे के लिए आखिरी समय तक उसकी बीमारी के लिए लड़ते रहे है। क्योकि उन्हें उम्मीद थी कि शायद उनका बच्चा बच जाए, लेकिन वक्त को शायद कुछ और ही मंजूर था। उस बच्चे की भी हिम्मत है, कि उसने अपनी इस बीमारी मे अपनी हिम्मत बाँधी हुई थी।
इस कहानी मे सबसे आकर्षित बात ये थी, कि एक पिता अपने बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त था, जो आजकल के माँ बाप को भी होना चाहिए ।क्योकि आजकल जब माँ बाप अपने बच्चो को ज्यादा दबाब डालते है, तो बच्चे अपनी मनमानी करने लगते है, ऐसे मे ज़रूरी है कि बच्चो के माँ बाप अपने बच्चो के साथ दोस्ताना व्यवहार रखे। जिसे बच्चे भी अपनी दिल की बात आसानी से कह सके ।
विहान की कहानी मे एक बात हम सबको सोचने को मजबूर करती है, कि परिवार का साथ होना बहुत ज़रूरी है। क्योकि अगर हमारे पास अपने परिवार का साथ होता है, तो हम हर परस्थिति से लड़ सकते है। विहान चाहे अब हमारे बीच नहीं रहा लेकिन उस बच्चे की कहानी से हमें ये चीज़ सीखने को मिलती है, कि वक्त कैसा भी हो इंसान को धैर्य रखना बहुत ज़रूरी है क्योकि धैर्य रखकर ही हम हर कार्य को अच्छे ढंग से कर सकते है।