बेवफाई ,

जिन्दगी जाने – तमन्ना के बिना बेकार है।
कोई बतला दें तड़पना आह भरना प्यार है ?
हिज्र की राते बीती कैसे ये दिल ही जानता।
रो के दिन फुरकत के गुजरे ये न कोई मानता।
वो हुए जिस दिन जुदा उस दिल से दिल बीमार है।
ज़िन्दगी जाने – तमन्ना के बिना बेकार है।
मुझको उनसे बेवफाई की न ये उम्मीद थी।
दिल को तोड़ा जैसे ये कोई खेलने की चीज़ थी।
चाह थी देखूँ किनारा दिख रहा मझधार  है।
जिन्दगी जाने – तमन्ना के बिना बेकार है।
अब तो हसरत है कि रिश्ता मृत्यु से ही जोड़ लूँ।
पर न मरना ,, ये कसम उनकी मैं कैसे तोड़ दूँ।
जीत है जालिम ज़माने की ये मेरी हार है।
ज़िन्दगी जाने – तमन्ना के बिना बेकार है।

उपर्युक्त पंक्तियां स्व. विनोदा नन्द झा की लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।