कभी बनना चाहता था, आर्मी ऑफिसर अब लड़ रहा है , ज़िन्दगी की जंग ,

पूजा पपनेजा।

दिल्ली मे एम्स कैंसर का सबसे बड़ा हॉस्पिटल माना जाता है । क्योकि ,अधिकांश लोग यहाँ अपने परिवारवालो का इलाज करवाने आते है, यहाँ कई ऐसी कहानियाँ हैं जो आपको ना सिर्फ सुनने में अच्छी लगेगी । बल्कि आपके दिल को भी छू लेगी, वैसे एम्स hospital में सभी डॉक्टर अपने मरीजों का इलाज बहुत अच्छे ढंग से करते हैं ।

इसमें कैंसर मरीज़ ज्यादा होने की वजह से सभी डॉक्टर अपने मरीज़ो को इतना नहीं देख पाते । क्योकि वहाँ डॉक्टर को बाकी मरीज़ो को भी देखना पड़ता है। इसलिए हम प्रशासन को भी इसका जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते ।

इस जगह मे सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहाँ लोग रात – दिन अपनों के साथ खड़े रहते है, उनका इंतज़ार करने के साथ खुद के हौसले को बनाए रखते है। उनकी एक आस होती है कि उनका अपना ठीक होकर उनके पास आ जाएगा। आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे मे बताने वाले है, जिसकी चर्चा हम यहाँ कर रहे है।

ये कहानी है, विहान ठाकुर की जिसकी उम्र मात्र 10 वर्ष है, वे मथुरा का रहने वाला है। वह बच्चा अपने बचपन को बहुत अच्छे से जी रहा था, उसका एक सपना है कि वो बड़े होकर आर्मी ऑफिसर बने। लेकिन एक वक्त उसकी जिंदगी में ऐसा आता है, जो सब कुछ बदल देता है वे कैंसर जैसी बीमारी से ग्रस्त हो जाता हैं, उस परस्थिति को अगर हम खुद रखकर सोचे तो आप और हम उस चीज़ का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि उस बच्चे के माता – पिता पर  क्या बीत रही होगी ?

शुरुवात में तो उसके माता पिता कुछ समझ नहीं पाते, लेकिन जब उस बच्चे को रोज अधिक फीवर आने लगता है, तब उसके माता – पिता उसको डॉक्टर के पास लेकर जाते है, तो डॉक्टर उसके माता – पिता को जाँच कराने के लिए बोलते है। जांच करवाने मे पता चलता है कि उससे ब्लड कैंसर है धीरे – धीरे उसकी हालत ज्यादा खराब होने लगती है , उसके माता पिता उसके लिए इधर से उधर भागने लगते हैं, फिर उसका इलाज आगरा के सबसे बड़े हॉस्पिटल पुष्पांजलि में करवाया जाता है, उसके बाद वो ठीक हो जाता हैं ।

लेकिन उसकी जिंदगी में एक ऐसा वक्त आता है, जिससे सब कुछ बदल जाता हैं, ये बीमारी उससे दुबारा हो जाती है, उसके माता पिता दुबारा परेशान हो जाते हैं, वो अब उसका इलाज एम्स hospital में करवा रहे है, उस बच्चे की हालत  अभी नाजुक बताई जा रही है।
लेकिन इस कहानी में सबसे बड़ी सीख लेने वाली बात ये है, जो सबको सोचने पर मजबूर करती है, कि इस बुरी परस्थिति में वो बच्चा उसके माता पिता हार नहीं मान रहे है, अपना धैर्य बनाए हुए है। जो बात काफी तारीफ के लायक है, ये कहानी हमें सिखाती है कि बुरी परस्थिति में इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए, अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए।