मर गया बेमौत मैं उनसे जुदा होने के बाद।
रेंगती यह ज़िन्दगी उनके विदा होने के बाद।
मै रपट किस कोतवाली मे लिखाऊं ? जो उन्हें।
ढूँढ कर लायेगा उनके गुमशुदा होने के बाद ,
जब हवा से की गुजारिश जाके ले आए उन्हें ,
मत करो फरियाद , वो बोली ,सजा होने के बाद ,
मेघ रे, संदेश मत ले जा , वहन कर ला उन्हें ,।
बोल मत ये , कौन आता है फ़ना होने के बाद ?
मैं तो आऊं रोज , बोला स्वप्न वादा है मगर –
संग ला सकता उन्हें रब की सजा होने के बाद।
याद मुझको कीजिए , पल मे उन्हें मै लाऊंगी ,
याद ने मुझसे कहा , मेरे ख़फ़ा होने के बाद।
चाहता हूँ परन्तु वो आये जीवित होकर यहाँ।
है सुना मैंने कई लौटे क़ज़ा होने के बाद।
और ये भी सुन चुका हूँ इस जहाँ वालो से मैं ,
कुछ भी हो सकता है मालिक की दुआ होने के बाद ,
उपर्युक्त पंक्तियां स्व. विनोदा नन्द झा की लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।