बोतल

आपने सुना होगा ।
किसी शायर ने कहा है।
नशा शराब मे होता
तो नाचती बोतल, ।
गलत है यह।
बोतल क्यों नाचे ?
अपने साइज के मुताबिक
वह लिमिट मे पीती है।
होश नहीं खोती है ।
और जो स्वयं होगा बेहोश ।
वो दूसरों को क्या पिलाएगा ?
इसलिए अपने को ।
बेहोशी से बचाती है ।
बोतल स्वयं; नाचती नहीं
दुनिया को नचाती है।
पिला पिला करके
पागल बनाती है।

उपर्युक्त पंक्तियां स्व. विनोदा नन्द झा की लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।