इंटरनेशनल एथलीट Fabian Lentsch ने चोट से उबारने के लिये भारतीय स्पाइन सर्जन डॉ. एचएस छाबड़ा का आभार जताया

रीढ की हड्डी में चोट किस तरह किसी इंसान की पूरी जिंदगी को प्रभावित कर सकता है इसके हमारे आस-पास कई उदाहरण देखने के लिये मिल जाएंगे। बस इस दिशा में जागरूकता की बेहद कमी है। यह बात श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में स्पाइन सेवाओं के प्रमुख डॉ. एचएस छाबड़ा ने स्पाइन से जुड़े एक जागरूकता कार्यक्रम के दैरान कही।

1 से 7 सितंबर तक चोट रोकथाम सप्ताह और 5 सितंबर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी दिवस के मद्देनजर दिल्ली के अस्पताल श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें यह जोर दिया गया कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से बचने के लिये किन बातों का ध्यान रखना चाहिये। इस बीच डॉक्टर छाबड़ा ने अस्पताल में अन्य मरीजों को भी आम दिनचर्या में फिर से लौटने के लिये प्रोत्साहित किया।

इस कार्यक्रम के मुख्य केन्द्र में 31 वर्ष के फैबियन लेंट्सच रहे जो बड़े पहाड़ों के फ्री राइडर और रेड बुल एथलीट के रूप में जाने जाने वाले  ये फिल्म निर्माता भी हैं। फिल्म निर्माता फैबियन 3 महीने की भारत यात्रा पर आए थे। वह हिमालय पर्वत पर ट्रैकिंग कर रहे थे, इस दौरान पैराग्लाइडिंग उड़ान के समय वो गंभीर दुर्घटना के शिकार हो गए। इस गंभीर दुर्घटना में उनकी पीठ के मध्य में एक कशेरुका फट गई, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी दब गई और परिणामस्वरूप पक्षाघात हो गया।

दुर्घटना के बाद, फैबियन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्पाइन सर्जन और श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में स्पाइन सेवाओं के प्रमुख डॉ. एचएस छाबड़ा द्वारा रीढ़ की सर्जरी करवाई। काफी समय उन्हें ह्वीलचेयर पर रहना पड़ा। डॉ. छाबड़ा की विशेषज्ञ देखभाल और मार्गदर्शन में, फैबियन में काफी सुधार हुआ उन्होंने चलना सीखा, अपने पैरों की ताकत को दोबारा वापस पाए और पहले के मुकाबले उन में काफी ज्यादा सुधार हुआ फिर वह अपने देश चले गए, परंतु डॉ. छाबड़ा के संपर्क में रहे।

अद्भुत यात्रा को दिखाने के लिए “गोल्डन स्माइल” नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनायी जा रही

 फैबियन द्वारा उनके ठीक होने की अद्भुत यात्रा को दिखाने के लिए “गोल्डन स्माइल” नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनायी जा रही है। उम्मीद है कि इस डॉक्यूमेंट्री में न केवल भारतीय विशेषज्ञ की विशेषज्ञता दिखाई जाएगी, बल्कि अस्पताल में उपलब्ध जानलेवा रीढ़ की हड्डी की चोटों के लिए उपलब्ध विश्व स्तरीय सुविधाओं को भी दिखाया जाएगा। डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य ऐसे और भी लोगों को प्रेरित करना है और प्रोत्साहित करना है जिन्होंने इस तरह की दर्दनाक घटना और चोटों के दर्द को झेला और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े।

5 सितंबर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी दिवस के अनुसार, “गोल्डन स्माइल” स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रिकवरी प्रक्रिया में शुरुआती समस्याओं और मानसिक स्थिति के महत्व पर जोर देती है।

फैबियन ने डॉ. छाबड़ा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं डॉ. छाबड़ा को उनकी असाधारण विशेषज्ञता, देखभाल और सहायता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ। मुझे सच में विश्वास है कि उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने मेरे ठीक होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह यात्रा चुनौतीपूर्ण रही है, लेकिन सही इलाज और केयर ने सब कुछ बदल दिया।”

डॉ. छाबड़ा ने बताया कि, “फैबियन की रिकवरी अपने आप में असाधारण है। उन्होंने अपनी चुनौतियों का डटकर सामना किया, अपने रिहैबिलिटेशन के दौरान अविश्वसनीय धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाया। उनकी कहानी विपरीत परिस्थितियों पर काबू पाने के लिए कई लोगों को प्रेरित करती है जो इस तरह की चोटों का सामना करते हैं।