चिन्मय दत्ता
14-15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत स्वतंत्र हुआ और संविधान सभा ने राष्ट्र की बागडोर संभाल ली। शुक्रवार को 15 अगस्त 1947 के शपथ ग्रहण समारोह के बाद राष्ट्रपति भवन के ध्वज दंड पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया।
संयोग से इस दिन श्रावण पूर्णिमा होने के कारण एक स्मरणीय अवसर था जहां पूरा देश स्वतंत्रता का जश्न मना रहा था वहीं बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांध रही थी।
यहां एक और संयोग था कि स्वतंत्रता की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के राणाघाट में एक बच्ची का जन्म हुआ, जिसका नाम राखी रखा गया जो फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेत्री राखी के रूप में जानी गई।
15 अगस्त 1947 को लखनऊ से ‘स्वतंत्र भारत’ अखबार प्रकाशित हुआ, जो स्वतंत्रता के बाद प्रकाशित पहला समाचार पत्र है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 16 अगस्त 1947 को प्रातः 8:30 बजे लाल किले पर फहराया।
यह स्वतंत्रता हमारे सेनानियों के अथक प्रयास और बलिदान से मिला जिसे कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है। आज खुली हवा में हम सांसे ले रहे हैं, मगर तब अंग्रेजों से आजादी के लिये संघर्ष कर रहे राष्ट्र के रक्षक अंधेरे कैदखाने में बंदी का जीवन भी व्यतीत कर रहे थे।
हजारों हजार की बेहद साहसिक कहानियां हैं, जिन्हें हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को जानने की जरूरत है।
स्वतंत्रता दिवस की 78वीं वर्षगांठ पर देखें कथक प्रस्तुति इस विडियो में– https://www.youtube.com/watch?v=-LV3xGcnUpY
पन्द्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी या राष्ट्रीय स्तुति के अन्य महान दिवसों पर तिरंगा फहराने मात्र से ही स्वतंत्र राष्ट्र के प्रति उसके नागरिक कर्तव्य की जिम्मेदारी पूर्ण नहीं हो जाती है। यह तभी पूर्ण हो सकती है जब स्वतंत्रता संग्राम की अनुपम बलिदानी घटनाओं का स्पंदन हमारे हृदय में गुंजायमान रहे।
कहते हैं कि हमारा देश विकास के दौर से गुजर रहा है और गौरतलब है कि किसी समय हमारा देश सोने का चिड़िया कहलाता था।
आज हमारे देश में चिड़िया ही लुप्त होती दिखाई दे रही है इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हम विकास के किस दौर में हैं।