ब्रिटिश सरकार के उच्च पदों पर आसीन रहे सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा का जन्म 24 मार्च 1863 को ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसीडेंसी अन्तर्गत रायपुर में हुआ, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है। बंगाल के वर्धमान स्थित महता में गोविंदा मोहिनी मित्रा से 15 मई 1880 को इनका विवाह हुआ फिर इन्होंने महता में एक बंगला बनवाया जो अब भी वहां अवस्थित है।
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा का भारतीय नागरिकों में बहुत सम्मान था और ये ब्रिटिश सरकार के उच्च पदों पर भी कार्यरत रहे। ये प्रमुख ब्रिटिश भारतीय महाधिवक्ता और राजनेता थे जो बंगाल के पहले भारतीय एडवोकेट जनरल रहे। ये ऐसे पहले भारतीय थे जिन्होंने वायसराय की काउंसिल में क़ानून सदस्य के रूप में प्रवेश करने का सम्मान प्राप्त किया था। इन्हें प्रथम विश्व युद्ध के बाद ‘लॉर्ड’ की उपाधि दी गई थी।
इसके साथ ही  1 जनवरी 1915 को नए साल के सम्मान में इन्हें ‘नाइट’ की उपाधि दी गई। फिर 1915 में ही कांग्रेस के बम्बई सत्र में इनको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया इसके बाद ब्रिटेन के ‘इंपीरियल युद्ध मंत्रिमंडल’ में भी ये शामिल हुए।

1919 में ये ब्रिटिश हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के पहले भारतीय सदस्य बने।  इन्होंने हाउस ऑफ लॉर्ड्स के माध्यम से संविधान में संशोधन के लिए मॉटेग्यूचेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने ‘भारत सरकार अधिनियम 1919’ को पारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हें 1920 में बिहार और उड़ीसा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।  गौरतलब है कि ब्रिटिश शासन में इस पद पर आसीन होने वाले ये पहले भारतीय थे। इन्हें 1926 में ‘प्रिवी काउंसिल के न्यायिक समिति’ का सदस्य नियुक्त किया गया था।
ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसीडेंसी के बरहामपुर में 4 मार्च 1928 को इनका देहांत हो गया।   बरहामपुर वर्तमान में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित है।
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 824वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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