चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
3 मार्च 1839 को गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसारी में नौशेरवानजी टाटा के पुत्र के रूप में जमशेदजी टाटा का जन्म हुआ। जमशेदजी की माता का नाम जीवनबाई टाटा था। अपने खानदान में नौशेरवानजी पहले व्यवसायी थे। जमशेदजी 14 साल की उम्र में ही पिताजी का साथ देने लगे। 1868 में उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। जमशेदजी ने1874 में रुई का एक कारखाना लगाया। महारानी विक्टोरिया ने उन दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था। उस वक्त जमशेदजी ने वक्त की नजाकत समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रे स मिल रखा। इम्प्रेस का मतलब महारानी है।
जमशेदजी का मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। देश के सफल औद्योगिकीकरण के लिए इन्होंने इस्पात कारखाना की महत्वपूर्ण योजना बनाई। इसके लिए बिहार के जंगलों में स्थित सिंहभूम जिले में उपयुक्त स्थान खोज निकाला। 1907 से पहले यहां आदिवासियों का एक गांव था साकची। यही साकची अब टाटानगर का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। यहां की मिट्टी काली होने का कारण यहां के रेलवे स्टेशन का नाम कालीमाटी पड़ा। 1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को) की स्थापना जमशेदपुर में होने से नगर की बुनियाद पड़ी। इस नगर की स्थापना को पारसी व्यवसायी जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा के नाम से जोड़ा जाता है। कालांतर में विश्व प्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा के सम्मान में कलीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम टाटानगर कर दिया गया। जमशेदजी ने जर्मनी में 19 मई 1904 को अंतिम सांस ली।
जमशेदजी की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 821वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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