शेर-ए-पंजाब के नाम से प्रसिद्ध थे लाला लाजपत राय

     चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।
लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में 28 जनवरी 1865 को उर्दू और फारसी के अध्यापक राधा कृष्ण राय के घर हुआ। इनकी माता गुलाबी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।
‘पंजाब केसरी’ और ‘शेर-ए-पंजाब’ के नाम से प्रसिद्ध लाला लाजपत राय  आर्य समाज के संस्थापक ‘दयानंद सरस्वती’ के विचारों से प्रभावित होकर 1882 में आर्य समाज में शामिल हो गए। इसके बाद इन्होंने पंजाब के ‘दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज’ की स्थापना में अहम योगदान दिया। इन्होंने 19 मई 1894 को देश के प्रथम स्वदेशी बैंक ‘पंजाब नेशनल बैंक’ की नींव रखी थी क्योंकि इन दिनों केवल अंग्रेजों द्वारा संचालित बैंक होते थे जो भारतीयों को अधिक ब्याज पर कर्ज देते थे।
इस बैंक में पहले खाता लाला लाजपत राय ने खुलवाया था इसके बाद देश के कई प्रसिद्ध हस्तियों ने यहां अपना खाता खुलवाया जिनमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री प्रमुख थे।
1927 में ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में राजनीतिक स्थिति की रिपोर्ट तैयार करने के लिए इंग्लैंड के वकील ‘सर जॉन साइमन’ की अगुवाई में एक सात सदस्यीय कमीशन की स्थापना की थी जिसमें किसी भी भारतीयों को शामिल नहीं किया गया था।

देश भर में इसका जबरदस्त विरोध किया गया जिसमें पंजाब में इस आंदोलन की कमान लाला लाजपत राय ने संभाल रखी थी। इनके नेतृत्व में पंजाब में एक विशाल जुलूस निकाला गया जिसमें इन्होंने ‘साइमन वापस जाओ’ का प्रसिद्ध नारा दिया। प्रदर्शन में हुए लाठी चार्ज से घायल होकर 17 नवम्बर 1928 को इन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
लाला लाजपत राय की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 815वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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