पांच वर्षों में पांच राज्यों के राज्यपाल रहे पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।
पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य का जन्म 8 अक्टूबर 1931 को कर्नाटक स्थित उडुपी जिले में बालकृष्ण आचार्य और राधा आचार्य के घर हुआ। इन्होंने उडुपी स्थित क्रिश्चियन हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उडुपी के ही महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में अध्ययन किया।
1980 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद 1987 में उत्तर पश्चिम बम्बई जिले के भाजपा अध्यक्ष से निर्वाचित हुए फिर 1989 में बम्बई भाजपा के एक समिति सदस्य बने। इसके बाद 1991 में इन्हें पूर्वोत्तर राज्यों के प्रभारी भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य निर्वाचित किया गया जिसमें नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय शामिल था।

ये 1995 से 2002 तक भाजपा के अखिल भारतीय राष्ट्रीय सचिव और पूर्वोत्तर राज्यों के प्रभारी भी रहे इसके साथ ही 2002 में ये केरल और लक्ष्यदीप के प्रभारी और 2005 में तमिलनाडु के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य रहे। ये माई होम इज इंडिया में पूर्वोत्तर आदिवासी बच्चों के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की एक परियोजना में सक्रिय रूप से लगे रहे।
19 जुलाई 2014 को इन्हें नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया जहां इनका कार्यकाल 31 जुलाई 2019 में संपन्न हुआ। इसके अतिरिक्त 21 जुलाई 2014 से 19 मई 2015 तक त्रिपुरा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार संभालने के साथ ही 12 दिसम्बर 2014 से 17 दिसम्बर 2016 तक इन्होंने असम के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त प्रभार संभाला।

 इसके बाद 28 जनवरी 2017 से 3 अक्टूबर 2017 तक इन्हें अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। गौरतलब है कि 27 जून 2019 से 23 जुलाई 2019 तक नजमा हेपतुल्ला की अनुपस्थिति में इन्हें मणिपुर राज्य के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। इस प्रकार ये पांच वर्षों में पांच राज्यों के राज्यपाल रहे।
पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य के जन्म दिवस पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 799वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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