मीमांसा डेस्क।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने अरुणाचल दौरे पर सीमा से सटे अंतिम गाँव किबिथू से चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि अरुणाचल भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। नया भारत सुई की नोक जितनी जमीन पर भी अतिक्रमण स्वीकार नहीं करेगा – की दहाड़ के साथ उन्होंने कहा कि वो दौर गुजर गया जब भारत की सीमाओं पर कोई अतिक्रमण कर लेता था, अब इसकी अखंडता पर आँख उठाने का दुस्साहस कोई नहीं कर सकता है। सीमा सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध शाह की नीतियों का यह स्पष्ट संदेश है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सुई बराबर भी जमीन की कुर्बानी नहीं दी जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा ड्रीम प्रोजेक्ट ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का शुभारंभ सीमा से सटे अरुणाचल के आखिरी गाँव किबिथू अर्थात भारत की उस धरती पर किया गया है जहाँ सूरज की पहली किरण पड़ती है। इस पहल से जहाँ सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर सुविधाएँ विकसित होंगी, वहीं गाँवों से पलायन की समस्या भी खत्म होगी।
किबिथू से ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ की शुरुआत
किबिथू, जिसे आखिरी गाँव का दर्जा दिया गया था उसे देश के पहले गाँव का दर्जा देना और वहाँ से ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ की शुरुआत करना यह साबित करता है कि कर्मठ नेता नरेंद्र मोदी व अमित शाह समाज के अंतिम पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक सरकार की नीतियों को पहुँचाने की दिशा में किस हद तक प्रयासरत हैं। 4800 करोड़ रुपये की लागत से क्रियान्वित यह कार्यक्रम देश भर के सीमा से सटे 2967 गाँवों में चलाया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और अमित शाह की कुशल नीतियों का ही नतीजा है कि पिछले 9 सालों से अरुणाचल सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत का अभूतपूर्व कायाकल्प हुआ है। आजादी के अमृतकाल में सीमा से सटे आखिरी गाँव तक सड़कों का निर्माण और कनेक्टिविटी की सुदृढ़ता का सीधा आशय वहाँ के निवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का है। अरुणाचल दौरे से लौटने के बाद राजनेता अमित शाह ने जिस तरह से अपने ट्वीट में वीडिओ के माध्यम से प्रकृति की गोद में बसे अरुणाचल की खूबसूरती का बखान किया है और वहाँ हो रहे विकास कार्यों एवं रोड कनेक्टिविटी को दर्शाया है तथा वहाँ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लोगों से वहाँ जाने का आह्वान किया है, वो बताता है कि पूर्वोत्तर के विकास में वो कोई कोर-कसर नहीं रहने देंगे।
देश के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका है कि संवैधानिक पद पर आसीन अमित शाह ने भारत और चीन की सीमा से सटे पहले गाँव में रात गुजारी, आईटीबीपी के जवानों का उत्साहवर्धन किया, उनसे बातचीत की और उनके साथ बैठकर रात्रि का भोजन भी किया।
पूर्वोत्तर भारत और खासकर सीमा से सटे क्षेत्रों के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण दौर भी रहा है, जब आजादी के बाद पिछली सरकारों द्वारा पूर्वोत्तर के आर्थिक विकास की दिशा में प्रयास नहीं किए गए। जब समग्र पूर्वोत्तर उग्रवाद, घुसपैठ, ड्रग तस्करी, भ्रष्टाचार से ग्रस्त था। लेकिन भारतीय राजनीति की दिशा को बदलकर नए भारत के निर्माण में तत्पर अमित शाह की ‘डिवाइन’ नीतियों से आज समग्र पूर्वोत्तर के राज्य विकास और शांति के पथ पर अग्रसर हैं।