चिन्मय दत्ता, झारखंड।
झारखंड के जनजातीय कलाकारों को अपनी बहुआयामी प्रतिभा को दुनिया के समाने लाने का मौका मिल रहा है। इसी कड़ी में डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के द्वारा देश भर के जनजातियों चित्रकारों को एक जगह एक मंच पर लाने के उद्देश्य से द्वितीय जनजातीय एवं लोक चित्रकार शिविर का आयोजन किया गया। गौरतलब है कि जनजातीय कलाकारों की योग्यता को सबके सामने लाने के लिये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सार्थक प्रयास करते हरे हैं। चित्रकला प्रर्दशनी का आयोजन इसी का परिणाम है।
कार्यक्म के बारे में डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक रणेन्द्र कुमार ने जानकारी दी कि रामगढ़ जिले के पतरातु में 28 जनवरी से 3 फरवरी तक द्वितीय जनजातीय एवं लोक चित्रकार शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में देशभर के विभिन्न राज्यों के परंपरागत चित्रकारों ने भाग लिया और अपनी चित्रकला के माध्यम से अनेकता में एकता का संदेश दिया।
उन्होंने बताया कि इस जनजातीय और लोक चित्रकार शिविर में पहली बार उत्तर-पूर्व राज्यों (नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, असम और त्रिपुरा) के चित्रकारों ने भी भाग लिया और अपने रंग का जादू चलाया। इसके अलावा आदिवासी समुदाय के जो आचार्य शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालयों में चित्रकला का अध्यापन कर रहे हैं, उन्होंने भी इस बार शिविर में भाग लिया।
रणेन्द्र कुमार ने जानकारी दी कि द्वितीय जनजातीय एवं लोक चित्रकार शिविर में भाग लेने वालों चित्रकारों द्वारा बनाये गये चित्रों की प्रर्दशनी दिनांक 4 फरवरी से 6 फरवरी तक ऑड्रे हाउस की लगाई गयी है। केरल से लेकर लद्दाख ,गुजरात से नागालैंड तक के 70 से अधिक जनजातीय और लोक चित्रकारों ने इस 7 दिवसीय शिविर में भाग लिया। इस प्रर्दशनी में भगवान बिरसा मुंडा की चित्रकला सीरीज लगाई गई है। रंगों के माध्यम से चित्रकारों ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन के विभिन्न रंगों को पेश किया है। इस दो दिवसीय प्रर्दशनी में खाद्य सचिव हिमानी पांडे ने शिरकत की और कलाकारों की हौसला अफजाई की।