मनोज त्रिपाठी, आगरा।
हिंदी को राष्ट्र भाषा का स्थान दिलाने के लिए आजीवन प्रयासरत रहे स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नायक भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती के अवसर पर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन द्वारा ‘वन्दे हिंदी समागम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं गीतकार प्रो. सोम ठाकुर, भारतीय वायुसेना महिला कल्याण एसोसिएशन पूर्व अध्यक्षा आशा भदौरिया, पूर्व भारतीय वायु सेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया, इनक्रेडिबल इंडिया फाउण्डेशन चेयरमैन पूरन डावर, आयोजन समिति चेयरमैन स्क्वाड्रन लीडर ए.के. सिंह, रोमसंस ग्रुप के एमडी किशोर खन्ना, राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक राज्यसभा राजेश बादल, टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया एवं विश्वविद्यालय के प्रो. वीसी प्रो. अजय तनेजा ने शिरकत किया।
समागम में तीन सत्र पैनल डिस्कशन के हुए जिनमें पैनलिस्ट ने हिंदी पर अपनी अपनी बात रखी। फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डावर ने ने कहा कि मुझे गर्व होता है, जब मैं अपने कारोबारी मित्रों से हिंदी में बात करता हूं.” उन्होंने हिंदी को दुनिया की सबसे बेहतर भाषा बताते हुए कहा कि हिंदी ही एक ऐसी भाषा है, जिसमें अभिव्यक्ति को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है। वहीं राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक राजेश बादल ने कहा, “आजादी को बचाए रखने का माध्यम हिंदी है। मैं आज ये बात गर्व से कह सकता हूं कि 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिंदी राष्ट्रीय ही नहीं अब अंतर्राष्ट्रीय भाषा है।
हिंदी को लेकर”वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने कहा, “आज हिंदी का रेवेन्यू इंग्लिश चैनल से ज्यादा है। हिंदी दुनिया की तीसरी बड़ी भाषा है। हिंदी का विकास बहुत हद तक सरकार की कार्यशैली पर भी निर्भर करता है और ये 7 से 8 साल हिंदी के लिए स्वर्णिम युग है.”।
‘कल की हिंदी और आज हिंदी का भविष्य’ पर अपने विचार रखते हुए इंडिया टीवी के सीनियर एडिटर दिनेश कांडपाल ने कहा, “जो किसी ने नहीं किया, उसे मैं करूंगा. ये मैंने उस वक्त प्रण किया, जब मुझे टीवी के लिए सेना पर एक कार्यक्रम तैयार करने के दौरान हिंदी में कोई जानकारी नहीं मिली। इस बात से मैं इतना आहत था कि मैंने इसकी कमी को दूर करने के लिए सेना पर एक हिंदी में किताब लिख दी, जिसका नाम ‘पराक्रम’ है.” कार्यक्रम के दौरान इस किताब का विमोचन भी किया गया।
बिजनेस वर्ल्ड हिंदी के संपादक अभिषेक मेहरोत्रा ने अपनी राय रखते हुए कहा, हिंदी अब आपको बाजार दे रहा है। कमाई का मौका दे रहा है। यदि कोई समस्या है तो वो शिक्षा को स्तर पर है. न्यूज 18 इंडिया के एसोसिएट एडिटर यतींद्र शर्मा ने कहा, “हिंदी का आज बोलबाला है, जब हिंदी का कोई संपादक फील्ड में जाता है तो उसके साथ सेल्फी लेनी की होड़ मच जाती है, जबकि इंग्लिश के एडिटर्स के पास कोई नहीं जाता। हिंदी के एडिटर्स के लिए सेल्फी की लाइन लग जाती है। उन्होंने खुलकर कहा कि पहचान अब हिंदियत की है, इंग्लिशियत की नहीं.”।
तीसरे पैनल में विचार-विमर्श के दौरान वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा ने कहा, “आप अपने बच्चे को पिताजी के पास पहुंचा दीजिए, हिंदी की समस्या खत्म हो जाएगी। हिन्दी की भाषा ऐसी हो, जो सहज हो सके। हिन्दी भारत की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हो चुकी है। आपको किसी भाषा को किनारा नहीं करना है, उसे आत्मसात करना है।
वरिष्ठ पत्रकार शैलेश रंजन ने कहा, “बच्चे को ये भरोसा दिला सकें कि उन्हें हिंदी पढ़ते हुए भी अच्छी नौकरी मिल सकती है। हमें हिंदी को उस स्तर तक ले जाना होगा। इसकी शुरुआत हमें घर से ही करनी होगी। हमें हिंदी दिवस की जरूरत नहीं। हमें इसके प्रचार प्रसार की जरूरत सभी 365 दिन है। आप अपने बच्चों को गुड मॉर्निंग की जगह सुप्रभात बोलना सिखाकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं.”। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डीन, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने कहा, “हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं है. यह हमारा स्वाभिमान भी है.”। वरिष्ठ पत्रकार गरिमा सिंह ने कहा, “जब हम अपनी भाषा में बात करते हैं तो उसकी तान दूर तक सुनाई देती है। संस्कारशाला आपका घर है और इसकी शिक्षिका मां हैं। ये जिम्मेदारी मां को भी उठानी होगी। जरूरत है बच्चों को शुरुआत से ही हिंदी की महत्ता बताना “।
प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. सुशील गुप्ता ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा, “स्कूली स्तर पर इस माइंडसेट को दूर करने की जरूरत है। स्कूलों में इंग्लिश जरूरी विषय है, जबकि हिंदी वैकल्पिक। हमें शिक्षकों को तैयार करना चाहिए कि वे हिंदी में बच्चों को पढ़ा सकें। इसमें मीडिया को मदद करनी होगी। उन्हें सीबीएसई के सामने ये बात उठानी होगी”।
कवि पवन आगरी ने कहा, “मैंने अपनी जिंदगी में अंग्रेजी का एक भी शब्द इस्तेमाल नहीं किया। हिंदी को सबसे ज्यादा समृद्ध कवि सम्मेलन ही कर रहा है। ये पूरी दुनिया में विख्यात हो रही है। हिंदी को प्रचारित प्रसारित करने का बड़ा काम हिंदी फिल्मों के गाने भी करते हैं। हिंदी के बल पर हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। जिन्होंने भी हिंदी के रूप में सपने को देखा है, वो जरूर पूरे होंगे”।