मुमताज ने ‘सोने की चिड़िया’ में बाल कलाकार की भूमिका से की फिल्मों में शुरूआत

चिन्मय दत्ता
60 और 70 के दशक की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और नर्तकी के रूप में मुमताज को याद किया जाता है। इनका जन्म ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसिडेंसी में अब्दुल सलीम अस्कारी के घर हुआ था। इनकी मां का नाम शदी अबीब आगा है।
मुमताज ने 1958 की फिल्म ‘सोने की चिड़िया’ में बाल भूमिका के रूप में पदार्पण किया। किशोरी के रूप में 1960 के दशक की शुरुआत में ‘वल्लाह क्या बात है’ में भूमिका निभाई। वयस्क के रूप में ए-ग्रेड फिल्मों में इनकी पहली भूमिका 1963 के ‘गहरा दाग’ में थी। इन्होंने दारा सिंह के साथ 1963 में ही फिल्म ‘फौलाद’ में अभिनय किया। एक साक्षात्कार में मुमताज ने कहा था कि “कुछ हद तक मैं कह सकती हूं कि मेरा कैरियर दारा सिंह ने बनाया है, क्योंकि इनके साथ काम करने के बाद मुझे अच्छे ऑफर मिलने शुरू हुए हो गए थे।”
1969 में राज खोसला की फिल्म ‘दो रास्ते’ ने मुमताज को पूर्ण रूप से फिल्मी सितारा बना दिया और 1970 में फिल्म ‘खिलौना’ में अभिनय के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
दारा सिंह, राजेश खन्ना, राजेन्द्र कुमार, शशि कपूर, धर्मेंद्र, फिरोज खान, अमिताभ बच्चन जैसे प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ भूमिका निभाते हुए इन्होंने फौलाद, दो रास्ते, आप की कसम, प्रेम कहानी, दुश्मन, रोटी, आंधी और तूफान, बॉक्सर, बंधे हाथ जैसी 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है।
इन्होंने 1974 में बिजनेसमैन मयूर माधवानी से विवाह किया। हिन्दी सिनेमा में बेहतरीन अभिनय के लिये 1997 में इन्हें फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया और 2008 में फिल्म जगत में महत्वपूर्ण योगदान के लिए आइफा अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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