पश्चिमी सभ्यता के बढते प्रभाव के कारण आज क्लासिकल डांस एवं लोक नृत्य का अस्तित्व खतरे में है- सुदीपा सांई शील।

उषा पाठक, वरिष्ठ पत्रकार।
नयी दिल्ली(एजेंसी)।
क्लासिकल डांस एवं लोकनृत्य की ओर सरकार का ध्यान खींचते हुए नृत्यांगना सुदीपा सांई शील ने कहा है कि पश्चिमी सभ्यता के बढते प्रभाव के कारण आज क्लासिकल डांस एवं लोक नृत्य का अस्तित्व खतरे में है, इसलिये खासकर बंगाल सरकार को इसपर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इस विधा को पाठ्य पुस्तक में शामिल करना चाहिए,ताकि यह रोजगार परख बन सके और नयी पीढ़ी का इस ओर झुकाव बढे।
गौरतलब है कि गुरु रवीन्द्र नाथ टैगोर की भूमि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की रहनेवाली सुदीपा महज तीन वर्ष की नन्ही उम्र में क्लाशिकल डांस”भरत नाट्यम”से जुड़कर आज देश- दुनियां में सुर्खियों में है। सुदीपा ने कहा कि यह कामयाबी उन्हें सुश्री गिरिजा बाला गोपाल की शिक्षा-दीक्षा एवं आशीर्वाद की वजह से मिली है। इसमें उनके माता-पिता एवं पति मनोजीत साईं का भी बड़ा योगदान रहा है।
लगभग तीन दशक से इस क्षेत्र से जुड़ी नृत्यांगना सुदीपा सांई शील ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्होंने देव् दासी, अमी राजेंद्र नंदिनी,अभिज्ञान सकुंतलम,कौशिकी बन्दना पर काम के अलावा बंगला लघु फ़िल्म नवरुपे दुर्गा बना चुकी हैं। इससे उन्हें शोहरत तो मिली लेकिन माली हालत में कोई सुधार नहीं हो सका।

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