भूगोल में शृंगार रस

 

 

भूगोल शिक्षक की गैरहाजिरी में
भूगोल का क्लास लेने

प्रधानाध्यापक महोदय ने
शृंगार रस में एम. ए. किए
हिन्दी अध्यापक को
क्लास में घुसा दिया।
और स्वयं को वह
सरपाइज चेकिंग हेतु
कोने में खड़ा किया।
अध्यापक ने शुरुआत की
हिमाचल प्रदेश से।
तुलना कर बैठा वह
कामिनी के केश से
प्रधानाचार्य मुस्कुराया।
पढ़ाई के इस तरीके को
मन ही मन अच्छा बताया।
अध्यापक थोड़ा नीचे आया
अब उत्तर प्रदेश में
सुन्दरी के मुख प्रदेश में स्थित
आँखों की सुन्दरता
और दंत की छटा।
गाल का गुलाबीपन।
अधरों का लालीपन।
सभी को उत्तर प्रदेश की
विविधताओं का नाम दिया।
अबकी बार हेडमास्टर
थोड़ा शरमाया।
पर यह तरीका उसे
मन ही मन भाया।
अध्यापक जी बोले अब
ये मध्यप्रदेश है
विविधतायें तो नहीं हैं
पर क्षेत्र है बहुत बड़ा
मनोरम यह देस है।
इतना कह करके वे
मग्न हो पढ़ाने लगे।
गीत विद्यापति का
क्लास में ही गाने लगे।
पयोधर – प्रदेश से आरम्भ कर
नाभी – प्रदेश होते हुए
कटि – प्रदेश आने लगे।
अबकी हेडमास्टर घबड़ा गया।
उसके माथे पर पसीना आ गया।
अपनी गलती पर वह बड़ा शरमाया।
चपरासी को चिल्लाकर
स्वयं ही बुलाया।
चपरासी हाँफते हुए उनके पास आया।
घंटी बजाने का आदेश पाया।
पर थोड़ा अकचकाया।
पूछा आदेश है तो
हम चले जाते हैं।
पर आज वक्त से पूर्व आप
घंटी क्यों बजवाते हैं ?
हेडमास्टर गुर्राया।
चपरासी थर्राया।
बोला कमबख्त।
बर्बाद न करो वक्त।
शीघ्रातिशीघ्र तुम
दौड़ करके जाओ।
इस अध्यापक के आंध्र प्रदेश –
पहुँचने से पहले ही
घंटी बजाओ।
उपरोक्त पक्तियां बी. एन. झा. द्वारा लिखित पुस्तक इंद्रधनुष से ली गई है।