दिव्यांगजनों की क्षमताओं पर दिल्ली में आयोजित हुआ तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, 25 से अधिक देशों के विशेषज्ञ हुए शामिल

नई दिल्ली, 5 नवंबर 2025।

नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशलन सेंटर में “रेडिफाइनिंग एबेलिटीज़” यानी क्षमताओं को नए नजरिए से देखने की थीम पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

3 से 5 नवंबर के बीच आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर, सुगम जीवन और सशक्त समाज के निर्माण पर विचार-विमर्श करना रहा।

यह आयोजन अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट (AJCT) और रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल (RI), न्यूयॉर्क के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिसमें 25 से अधिक देशों के विशेषज्ञ, नीति निर्माता, शिक्षाविद, शोधकर्ता और समाजसेवियों ने भाग लिया।

सम्मेलन का उद्घाटन  केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल के प्रेसिडेंट प्रो. क्रिस्टोफ गुटनब्रनर, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की एडिशनल सेक्रेटरी  मनमीत कौर, और अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट कि फाउंडर एंड मेनेजिंग सेक्रेटरी डॉ. उमा तुली ने किया।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही है कि दिव्यांगजनों को शिक्षा, कौशल विकास, सुगम वातावरण और रोजगार के बेहतर अवसर मिलें। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को सशक्त बनाना कोई दान नहीं, बल्कि उनका अधिकार है।

हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जहाँ हर व्यक्ति को समान अवसर, सम्मान और आत्मनिर्भर जीवन मिल सके। डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के साथ-साथ विशेष योजनाओं और नीतियों के ज़रिए दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दे रही है। दिव्यांगजनों की कला और हुनर को प्रोत्साहन देने के लिए ‘दिव्य कला मेलों’ का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ वे अपने बनाए हुए उत्पाद प्रदर्शित और बेच सकते हैं।

इन मेलों के माध्यम से उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से दिव्यांगजन न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि अपने परिवारों को भी मज़बूती दे रहे हैं। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन – सबका साथ, सबका विकास को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. उमा तुली ने कहा कि समाज में सच्चा बदलाव तभी आएगा जब लोग सोचने का तरीका बदलेंगे। उन्होंने कहा, “समावेश तब शुरू होता है जब हम क्षमताओं को देखने का नजरिया बदलते हैं।

अमर ज्योति ने पिछले 40 सालों से दिखाया है कि विकलांग और सामान्य बच्चे एक साथ पढ़ सकते हैं, खेल सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। समावेश कोई अलग विचार नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है।”

रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल के अध्यक्ष प्रो. क्रिस्टोफ गुटनब्रनर ने कहा कि समावेश को हकीकत बनाने के लिए वैश्विक सहयोग ज़रूरी है। उन्होंने कहा, “अब समय है कि हम बातों से आगे बढ़ें और ठोस कदम उठाएँ। नीति, शोध और व्यवहार — इन तीनों को साथ लाकर ही हम ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति, चाहे उसकी क्षमता कोई भी हो, आगे बढ़ सके। रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल को गर्व है कि वह इस दिशा में अमर ज्योति के साथ काम कर रहा है।”

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की एडिशनल सेक्रेटरी सुश्री मनमीत कौर ने बताया कि, ”भारत ने विकलांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के बाद से कई मज़बूत नीतियाँ और कानून बनाए हैं। उन्होंने कहा कि अब ज़रूरत है इन कानूनों को ज़मीन पर उतारने और लोगों में जागरूकता बढ़ाने की।

उन्होंने कहा, “भारत के पास मजबूत कानूनी ढांचा है, लेकिन असली सशक्तिकरण तब होगा जब अधिकार अवसरों में बदलें। इसके लिए सरकार, समाज और अमर ज्योति जैसी संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा, ताकि समावेश हर घर और हर समुदाय तक पहुँचे।”

लगभग चार दशकों से समावेशी शिक्षा और पुनर्वास में अग्रणी, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट ने विकलांग और गैर-विकलांग बच्चों को एक साथ शिक्षित कर समाज में एकीकरण की नई मिसाल कायम की है। वहीं, दूसरी ओर 100 से अधिक देशों में सदस्य संगठनों वाला एक 100 साल पुराना वैश्विक निकाय, रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल (RI), न्यूयॉर्क  विकलांग व्यक्तियों के लिए वैश्विक वकालत का नेतृत्व करता है।