कहां ढूंढू मैं उन लम्हों को जो कहीं खो गए है ,
जिन लम्हों में कभी उनका जिक्र हुआ करता था ,
वो लम्हें कही गायब हो गये है ,
कहां ढूंढे उन लोगों को जो कहीं खो गये है।
उनकी फिक्र में हम खुद से ही दूर हो गये है।
कहाँ गये वो लम्हें जिनमें कभी हमारी यादें हुआ करती थी ,
वो लम्हें हमीं से चूर हो गये हैं ,
उनकी नजरों से हम हमेशा के लिये दूर
हो गये है।
उपयुक्त पक्तियां प्रकाश गुप्ता के द्वारा लिखी गई है।
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