आपकी सेहत ; क्यूं बीमारियों को न्योता देता है मोटापा

 

सारिका झा

22 वर्षीय ममता सड़क किनारे खड़ी किसी का इंतजार कर रही थी, इतने में लगभग बारह-तेरह साल का लड़का तेजी से साईकिल चलाते ममता को साईड प्लीज आंटी कहकर निकल गया। ममता ने मुँह बनाते हुए लड़के को साईड दे दिया। खुद के लिये आंटी संबोधन ममता के लिये नई बात नहीं रही, वह भी किसी बड़े बच्चे के मुँह से सुनना। इस बार फिर सुना तो हैरानी नहीं हुई, बस एक बार खीज जरूर हुई, हर बार की तरह। मगर ऐसा क्यों….दरअसल ममता बचपन से ही मोटापे की शिकार है, और यही वजह है कि वह अपने हमउम्र लड़कियों से काफी बड़ी नजर आती है। इस वजह से वह काफी मायूस भी रहने लगी है।

खासकर महानगरों की बात करें तो ममता की ही तरह कई महिलाएँ व पुरूष मोटापे से बेहद परेशान हैं।कई परिवारों में लोग स्वस्थ होने का मतलब मोटापे से जोड़ते हैं जो बिल्कुल गलत धारणा है। पहले परिवार में बड़े बच्चों को मोटे होने का आशीर्वाद देते थे, क्योंकि वो इसे सही मानते थे, मगर उनका ये आशीर्वाद बच्चों को स्वस्थ नहीं बल्कि कई बीमारियों को न्योता देता है ,शायद ही उन्हें इसका अहसास होगा। मोटापा कई बीमारियों को न्योता देने वाला स्वयं में एक बड़ी बीमारी है। मोटापा उम्र की मासूमियत को कम कर देता है और व्यक्ति समय से पहले बड़ा दिखने लगता है। इसके होने से व्यक्ति को उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, सांस फूलना, एवं हृदय रोग जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है।

दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक एवं बेरियाट्रिक सर्जन, डा. आशीष डे के अनुसार, अधिकतर लोगों को अपने मोटे होने का अहसास होता है, इसका सबसे बड़ा कारण उनके आस-पास का माहौल है जिसमें रहने वाले लोग व्यक्ति को मोटापे का अहसास दिलाते हैं। एक छरहरी व सुडौल काया नहीं होने की वजह से मोटा व्यक्ति घर से लेकर बाहर तक सभी की नजरों में रहता है। लोग उन्हें मोटे होने के ताने देते हैं जिसे सुनकर मोटे व्यक्ति में खुद को लेकर हीन भावना जन्म लेने लगती है, और धीरे-धीरे अकेलेपन का शिकार भी होने लगता है। ऐसे में उन्हें डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती है।

 

मोटापा के विभिन्न रूप
मोटापा कई रूपों में होता है। इसका बीएमआइ यानि शरीर भार सूचकांक, जो मानव भार एवं लम्बाई का अनुपात होता है, से पता लगाया जा सकता है। बीएमआइ मोटापा मापक है इसकी वजह से मोटापे की स्थिति का पता चलता है। एक सामान्य व्यक्ति का बीएमआइ, 18-24 होता है। 25-30 बीएमआइ होने की पर व्यक्ति ओवर वेट यानि उसका वजन ज्यादा होता है। बीएमआइ 30-35 होने पर उसमें मोटापा यानि ओबेसिटी टाइप वन पाया जाता है। 35-40 बीएमआइ होने पर व्यक्ति ओबेसिटी टाइप टू की श्रेणी में और बीएमआइ 40 से उपर की स्थिति में ओबेसिटी टाइप 3 में आता है।
बीएमआइ 25-30 में इसे अच्छे खान-पान और नियमित व्यायाम से नियंत्रण में किया जा सकता है। 30 से ऊपर की स्थिति में डॉक्टरी परामर्श से दवाएँ ली जाती हैं एवं बीएमआइ 40 से अधिक होने पर व्यक्ति मोटापे का मरीज होता है, जिसका एक मात्र इलाज मोटापे की सर्जरी ही है।

 

महानगरों में मोटापे के शिकार अधिक
महानगरों में खासकर दिल्ली में मोटापे के शिकार लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है, जिसकी बडी वजह लोगों की गलत दिनचर्या है। लोग फास्ट फूड ज्यादा खाते हैं, क्योंकि ये बहुत स्वादिष्ट होते हैं। बच्चों के माता-पिता उन्हें बाजार से स्वादिष्ट पिज्जा, बर्गर आदि खिलाकर खुश हो जाते हैं मगर इस बात से बिल्कुल अंजान होते हैं कि इन चीजों में बिल्कुल पौष्टिकता नहीं होती है, बल्कि ये मोटापे को दावत देते हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग जो आउटडोर एक्टिविटीज नहीं करते, एक्सरसाइज नहीं करते उनमें मोटापा बढने की बहुत संभावना होती है। खासकर आजकल बच्चे मोबाइल, कम्प्युटर या फिर टीवी पर गेम्स खेलते रहते हैं, जिससे उनमें आउटडोर गेम्स के प्रति रूझान कम हुआ है जो मानसिक के साथ-साथ उनके शारिरिक तंदुरूस्ती के लिए नुकसानदायक है।

 

 

विभिन्न बीमारियों का जड़ मोटापा
मोटापा खुद में एक बड़ी बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2002 में मोटापे को बीमारी रूप में चिह्नित किया है, जो अपने साथ कई बीमारियाँ लेकर आता है। मोटापे के कारण व्यक्ति में जिन बीमारियों का खतरा रहता है उनमें हृदय रोग, स्ट्रोक, डिप्रेशन, महिलाओं में इनफर्टिलिटी, खर्राटे की समस्या, कॉलेस्ट्रॅाल का बढना एवं घुटनों में दर्द आदि है।

 

 

मोटापे को कम करने में सर्जरी असरदार
डॉ. आशीष डे के अनुसार मोटापे को सर्जरी से कम किया जा सकता है। बीएमआइ 40 से अधिक होने की स्थिति में सर्जरी से ही मोटापे को कम किया जाता है। कई बार बीएमआइ 35-40 की स्थिति में अगर व्यक्ति मोटापे से जुड़ी किसी बीमारी से पीड़ित है तब भी उसके लिए सर्जरी जरूरी है। मोटापे की सर्जरी चार प्रकार की होती है। इनमें से एक सर्जरी ’लैब बैंड’ के नाम से जानी जाती है जिसका प्रयोग भारत में नहीं होता है। दूसरी सर्जरी को
स्लिप गैस्ट्रेक्टोमी के नाम से जाना जाता है, इसमें सर्जरी से स्टोमेक को छोटा कर दिया जाता है, जिससे उस व्यक्ति की खाने की क्षमता कम हो जाती है और धीरे-धीरे उसका मोटापा कम होने लगता है। तीसरी सर्जरी गैस्ट्रिक बाइपास के नाम से जानी जाती है । इसमें मोटापे के शिकार व्यक्ति के आंतों को व्यवस्थित किया जाता है। व्यक्ति के फूडपाइप को सीधे उसकी आंत से जोड़ दिया जाता है, जिससे शरीर में अवशोषण कम हो जाता है जो मोटापे को कम करता है। एक और सर्जरी जो आजकल काफी सफल साबित हो रही है उसे मिनी गैस्ट्रिक बाइपास के नाम से जाना जाता है। इसकी प्रक्रिया सर्जिकली गैस्ट्रिक बाइपास से थोडी आसान है और साथ ही इसके परिणाम भी अच्छे हैं। 2004 से सर्जन इसका प्रयोग कर रहे हैं। हालाँकि सर्जरी के बाद कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे इंटरनल हर्नियाँ बढ़ने की संभावना होती है, अल्सर या फिर स्ट्रिक्चर की समस्या हो सकती है, जिन्हें दवाई से ठीक किया जाता है, जो कि सर्जरी के बाद की सामान्य प्रक्रिया है। सर्जरी के बाद व्यक्ति के शरीर में विटामिन्स, मिनरल्स एवं प्रोटीन की भी कमी हो जाती है जिसके लिए लगभग व्यक्ति को आजीवन इन्हें दवा के रूप में लेना पडता है।

 

 

सर्जरी के बाद भी बढ़ सकता है मोटापा
सर्जरी के बाद भी व्यक्ति अगर फिर से पहले की तरह खाने-पीने पर नियंत्रण नहीं रखता है, मीठे और शराब का सेवन करता है तो उसकी स्थिति पहले जैसी होने लगती है, ऐसे में पुनः सर्जरी की स्थिति बन सकती है। इसलिए सर्जरी के बाद मरीज के लिए डॉक्टर की सलाह एवं दिशा-निर्देश जरूरी है। संतुलित आहार व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, एवं सभी आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। खाने में अनियमितता एवं फास्ट फूड के लगातार सेवन भी मोटापा बढाने में सहायक है।

 

 

बीएमआर का मोटापे से संबंध
ज्यादातर मामलों में मोटापा आनुवांशिक है। 90 प्रतिशत बच्चे अगर बचपन में मोटे होते हैं तो बड़े होकर भी वो मोटे ही होते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि कुछ लोग ज्यादा खाते हैं फिर भी पतले होते हैं, और बहुत कम खाने वाले मोटापे से परेशान रहते हैं। इसकी वजह बसल मेटाबोलिक रेट है, जिसे बीएमआर के नाम से जाना जाता है । ये कैलोरी जलाने का काम करता है।जिसके शरीर में बीएमआर की क्षमता अधिक होती है वो ज्यादा मोटे नहीं होते, मगर जिनमें ये कम होता है वो व्यक्ति मोटापे का शिकार होता है।
मोटापे को कम करने के लिए व्यक्ति को नियमित व्यायाम एवं संयमित खान-पान पर ध्यान देने की जरूरत होती है। मोटापे अधिक बढ़ने की स्थिति में संबंधित डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत होती है। मोटापा एक बीमारी है, और बीमारी के रूप में इसकी पहचान जरूरी है।