आपकी सेहत ; होलिस्टिक चिकित्सा वैकल्पिक , प्राकृतिक प्राचीन व आधुनिक चिकित्सा पद्धति का मिश्रण है।

लता झा।

प्राचीनकाल में दर्द आदि से छुटकारा पाने के लिए मालिश [दबाव ] सेंक [ताप ] , जल व धूप का इस्तेमाल किया जाता था। दर्द से बेहाल लोग जादूगर , ओझा , पुजारी आदि के पास जाते थे। दर्द से राहत के लिए जड़ी – बूटियों , जादू – टोनों , झाड़ – फूंक , मंत्रो , अनुष्ठानों , पूजा – पाठ आदि का सहारा लिया जाता था। जबकि आज दर्द निवारक के रूप में जिन चीजों का प्रयोग होता है , उनमें अफीम , मार्फिन , कोकीन , एस्प्रीन आदि शामिल है। यह दर्द का स्थायी हल नहीं है। हमारे शरीर में दुष्प्रभाव पैदा करने वाली दवाइयों की तुलना  में होलिस्टिक चिकित्सा पूर्णत ; सुरक्षित , दुष्प्रभावरहित व कारगर है।

होलिस्टिक चिकित्सा में संपूर्ण स्वास्थ्य की बात की जाती है। हमारे शरीर के अंदर सभी रोगों से लड़ने वाली दवाइयां बनती हैं और होलिस्टिक चिकित्सा में इन्हीं का विकास किया जाता है ताकि मरीज स्वयं अपनी तमाम परेशानियों से निजात पा सके। अन्य चिकित्सा पद्धतियों में हम शारीरिक रूप से स्वस्थ महसूस करते हैं , जबकि होलिस्टिक चिकित्सा में हम न सिर्फ शारीरिक , बल्कि मानसिक , आध्यात्मिक , आदि सभी प्रकार से अपने को विकसित महसूस करते हैं।

होलिस्टिक चिकित्सा में इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि कोई कार्य जब तक आप प्रेम भाव से नहीं करेंगे , तब तक उसमें कामयाब नहीं होंगे। यानी होलिस्टिक चिकित्सा में हीलिंग टच , होता है , जो किसी को निरोग करने के लिए बेहतर विकल्प होता है। इसके अलावा श्रद्धा व प्रेम से भी इलाज का रास्ता बन सकता है। इस स्थिति में किसी औषधि की जरूरत नहीं पड़ती। भारतीय रसोईघर एक आयुर्वेदशाला की तरह ही है , जहां आवश्यकतानुसार हम जड़ी – बूटियों , रसायनों मसालों आदि का प्रयोग करते हैं। 

           

  • होलिस्टिक चिकित्सा के पांच टिप्स       
  • काया – मन -आत्मा

होलिस्टिक चिकित्सा का उद्देश्य हानिरहित प्राकृतिक उपायों के जरिए देह – मन आत्मा के रूप में व्यक्ति का संपूर्ण कल्याण करना एवं उसे सकारात्मक रूप से निरोगी बनाना है ।इसकी मदद से व्यक्ति को अस्थायी राहत दिलाने की बजाय पूरी तरह से तन – मन आत्मा से निरोगी बनाया जा सकता है।

 

  •  एकीकरण।
    आधुनिक चिकित्सा पद्धति के विज्ञान का विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की कला के साथ संपूर्ण मिश्रण है। यह व्यक्ति के स्वयं के जीवन बल को संचालित करती है ताकि मरीज होम्योस्टेटिस [संपूर्ण संतुलन की अवस्था ] को प्राप्त कर सके। साथ ही होलिस्टिक चिकित्सा व्यक्ति की प्राकृतिक अंतर्निहित आरोग्य शक्ति को प्रेरित करती है
           
  • सहक्रिया

समय की कसौटी पर प्रमाणित हो चुके प्राचीन ज्ञान व आधुनिक ज्ञान के आदान-प्रदान एवं उनके बीच सहक्रिया से होलिस्टिक चिकित्सा नाम की एक ऐसी चिकित्सा पद्धति विकसित हुई है , जो तरह-तरह की गंभीर व पुरानी बीमारियों , व्याधियों तथा परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के लिए लाइलाज हो चुकी बीमारियों को ठीक करती हैं।

 

  • डोप – मुक्त

यह हिपक्रेट की इस मान्यता का पालन करती है कि यह प्राकृतिक व मादक द्रव्यों औषधियों आदि से पूरी तरह से मुक्त होते हैं । अत; ऐसा कहा जा सकता है कि होलिस्टिक चिकित्सा दवाइयों के अनिवार्य दुष्प्रभावों से पूरी तरह मुक्त है ।

  •  भविष्योन्मुख

तनाव जीवनशैली , मनोदैहिक ऑटोइम्यून , एलर्जी , हार्मोन , मेटाबोलिक , पारालाइटिक और जीर्णता जैसे कारणों से होने वाली बीमारियों एवं कष्टों में कारगर इलाज के कारण दुनिया भर में इसकी मान्यता बढ़ रही है।

 

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