बस फर्क इतना है —–

 

सारी धरा के साथ में ,
तेरे जरा से साथ में ,

बस फर्क इतना है —
कि बाकी इत्र हैं, तू फूल ,

जैसे तू धरा , सब धूल।
जैसे तू सरित , सब धार ,

मेरे अस्तित्व का आधार।
तू जैसे गगन , तारे सब ,

नयन तू है , नजारे सब।
हैं बाकी बिंदु तू रेखा ,

हैं सारे कर्म , तू लेखा।
तू जैसे मूल , प्रतियां सब ,

रचयिता तू हैं कृतियां सब।
सभी संगीत , स्वर तू है ,

मेरे मन का भंवर तू है।
सभी हैं स्व्पन, साकार तू है।
मेरे होने का बस आधार तू है।