रहस्य

 

 

 

 

 

 

जाड़े के मौसम में
अपने कार्यालय की

युवती सहकर्मी
मुझ श्यामवर्ण धनवान पर

नजरें घुमाती हैं
बगल में कुर्सी खिसकाकर

चाय मंगवाती हैं
पकौड़े खिलाती हैं

बातें करते समय
खूब मुस्कुराती हैं

अपने सौभाग्य पर
मैं भी इतराता हूँ

गौरवर्ण साथियों को
भरपूर जलाता हूँ

परन्तु एक पौढ़ा से
सर्दी के अन्त में
रहस्य खुल जाता है

युवतियों को मैं नहीं
मेरे हर स्वेटर का
डिजाईन जो भाता है।

उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।