मुझसे अगर वो पाँच मिनट बात करेंगे
जो हैं नही उनके लिए कुछ गालियों के साथ।
अच्छा नहीं खाता न पहनता है दूसरा
कहता हर एक शख्स कि है और मेरी बात।
कहिए न ये मकान मेरा आलीशान है
जब से ये दूसरा बना ऊंचा कुछेक हाथ।
सच क्यों ? चूँकि निनान्वे कहते हैं सच इसे
होती है क्या गलेलियो की भी कोई जमात ?
मंदिर में किसी आदमी का नाम खुदा है
होगी परम पिता से कहाँ उसमें मुलाकात ?
उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।