इएनटी सर्जन व सीनियर कंसल्टेंट डॉ बी के अग्रवाल के अनुसार आमतौर पर कान बहना एक आम समस्या है। ये समस्या बचपन से लेकर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह एक बड़ी समस्या भी है। यह कान के परदे में छेद होने से होता है। कई बार ये बीमारी फैलकर दिमाग तक भी जा सकती है। इसमें श्रवन शक्ति के गायब होने जैसे खतरे भी होते हैं।
इएनटी सर्जन व सीनियर कंसल्टेंट डॉ बी के अग्रवाल के अनुसार मुख्यत ; – खांसी जुकाम , और गला खराब होने से कान बहता है। इसलिये इनसे बचना जरुरी है। जैसे कान के परदे में छेद है तो नहाने के लिये स्वीमिंग पूल या फिर नदी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। इसके इलाज के लिये डॉक्टरी सलाह लें एवं आजकल आधुनिक माइक्रोस्कोप से कान के परदे का ऑपरेशन काफी सफल साबित हुआ है , जिससे कान का बहना कम हो जाता है और सुनाई ठीक से देता है। इसका ईलाज जरूरी है , इसलिये कभी लापरवाही न बरतें।
बच्चों में कान के परदे के पीछे रेशा होना एक आम बीमारी है। यह नाक और गले की एलर्जी से होता है। इसके होने से बच्चे में सुनने की शक्ति कम हो जाती है। इन कारणों से वह अपने स्कूल में परफॉरमेंस नहीं दें पाता है। इससे बचाव के लिये प्राइमरी स्कूल में नियम से बच्चों की हियरिंग स्क्रीनिंग होनी चाहिये। किसी भी बच्चे की समस्या नजर आए तो उसका तुरंत इलाज कराना चाहिये।
कान में सीटी बजना एक आम समस्या है। हालाँकि ये ज्यादा खतरनाक नहीं है। ये कान के अंदर के नसों की कमजोरी की वजह से होता है , जो काफी लम्बे वक्त तक रहता है।
इसमें इलाज ज्यादा कामयाब नहीं होता है। इसकी वजह ढूढ़ने के लिये दिमाग की जॉंच भी जरुरी है। इसमें इलाज के साथ मन में तसल्ली रखना भी बहुत जरुरी होता है।