उसको कामयाब बनाने की ख्वाहिश अधूरी थी मेरी

उसको कामयाब बनाने की ख्वाहिश अधूरी थी मेरी
मेरी वह अधूरी इच्छा पूरी हुई ।

जब वह कामयाब बने ।
तो मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

कि जैसे उसे देखकर हम खुद कामयाब हो गए ।
वह हमें नहीं मिले तो क्या हुआ ?

इस बात का हमे कोई गम नहीं है ।
मगर आज वह खुद एक चांद की तरह हो गए।

जिसे देखते तो बहुत लोग हैं ।
लेकिन हासिल कोई नहीं कर सकता ।

अब उसने आसमान के सितारों को छू लिया है।
आज वह खुद एक चांद की तरह दिखता है ।

जिसने कभी हमें ठुकराया था ।
वह आज खुद एक चांद बन गया है।

आज उसकी इसी कामयाबी को देखकर
मुझे उसमे अपनी कामयाबी नजर आती है।

यह पक्तियां प्रकाश गुप्ता द्वारा लिखी गई है।