चुप रहना सीख लिया

 

अब मेरे दिल ने भी
चुप रहना सीख लिया

बिन बोले ही इसने सब
कुछ कहना सीख लिया।

अब टीस तो उठती है
लेकिन आवाज नहीं होती ,

शिकवे की पतंगों में ऊंची
परवाज नहीं होती।

दिल तो रोता हैं लेकिन
अब आँखें सूखी हैं ,

सावन का महीना है लेकिन
बारिश रूखी हैं ,

अब दिल ने हर दर्द को शायद
सहना सीख लिया ,

अब मेरे दिल ने —–
अब गम होता है लेकिन

कुछ कम ही होता है ,
अब लब सूखे हैं लेकिन

दिल नम ही होता है।
आँखों ने बरसना छोड़ दिया ,

दिल ने तरसना छोड़ दिया।
अब यादों की नागिन ने भी
डसना छोड़ दिया ,

अब उनकी यादों ने चुप – चुप
रहना सीख लिया।

बिन बोले ही चुप रहना सीख लिया
अब सपने आते हैं

ना उनमें अपने आते हैं ,
रोता हूँ ना सोता हूँ ,

जब मैं अकेला होता हूँ।
डर लगता है जब – जब

अपना चेहरा धोता हूँ ,
आंसू हो या पानी सबने

बहना सीख लिया।
अब मेरे दिल ने भी
चुप रहना सीख लिया।

उपयुक्त पक्तियां अमित तिवारी द्वारा लिखी गई है।